भरतकुमार सोलंकी
हिंदुस्थान को आजाद हुए ७५ वर्ष हो गए और हम आजादी का अमृत महोत्सव भी मना रहे हैं तो दूसरी तरफ पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित हमारे देश भारत में भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा के निम्नस्तर पर जी रहे हैं। मेहनत करने में हमारे देश के लोग किसी अन्य विकसित देश के लोगों से कम नहीं हैं, फिर भी लोग गरीब हैं तो कारण क्या है?
मेहनत तो लोग करते हैं और पैसे भी कमाते हैं लेकिन पैसों को मैनेज करने में कमजोर साबित हो रहे हैं। हर इंसान अपनी जवानी में अपनी खुद की आमदनी शुरू होते ही एक मोटर बाइक अथवा कार खरीदने का सपना संजोता है और यह सोचता है कि एक दिन फला बाइक या कार जरूर खरीदूंगा। सोचते-सोचते चार-पांच साल बीत जाते हैं और एक दिन शोरूम जाकर गाड़ी खरीदकर ले आता है। घर में लड़की के जन्म लेते ही उसकी शादी-विवाह में दहेज, भोज और डेकोरेशन आदि खर्च का विचार माता-पिता के जेहन में कई वर्षों तक बना रहता है। बच्चों की मैट्रिक के बाद हायर एजुकेशन फीस का जुगाड़ और अंत में सेवानिवृत्त होने पर बुढ़ापे में मासिक आमदनी की जरूरत पर चिंता तो हर कोई करता ही है।
गाड़ी खरीदने को लेकर तीन-चार साल लगातार सोचने के बाद आखिर में एक दिन कार शोरूम जाकर गाड़ी खरीद लेता है और वह व्यक्ति दस लाख की गाड़ी की कीमत ईएमआई किस्तों के साथ कर्ज लेकर पंद्रह से अठारह लाख देकर आता है। यही व्यक्ति गाड़ी खरीदने से पूर्व नियोजित प्लानिंग पहले दिन से कर लेता तो दस लाख की गाड़ी आठ लाख में खरीद सकता था। इसी तरह हमारे देश में अधिकतर लोग कोई भी बड़े कार्य के लिए पहले दिन से प्लानिंग नहीं करते हैं और घर-मकान, एजुकेशन, शादी-विवाह आदि तमाम खर्चों के लिए कर्ज लेकर उसकी मूल पूंजी से दो-गुना, तीन-गुना पैसा किस्तों में ब्याज के साथ चुकाते हैं।
पूर्व नियोजित प्लानिंग नहीं करने से ऐसे कई लोगों की पूरी जिंदगी कर्ज की किस्तें भरने में ही गुजर जाती है और बुढ़ापे की सांझ में चैन की जिंदगी नहीं जी पाते हैं। ऐसे लोग अपने लिए नहीं, बल्कि बैंक के लिए ही कमाते हैं। पूरी जिंदगी कर्ज और कर्ज का ब्याज भरते-भरते ही कट जाती है। हमारे देश के लोगों की गरीबी का सबसे बड़ा कारण यही है कि वे कोई भी छोटा-बड़ा कार्य करने के लिए सेठ-साहूकारों से अथवा बैंक से लोन लेकर ही अपना काम करते हैं।
ब्याज एक धीमा जहर है, जो किसी भी परिवार को दीमक की तरह बर्बाद कर देता है। दीमक का असर, ऊपर-ऊपर से देखने पर सनमाइका विनियर की तरह सब कुछ ठीक-ठाक चमकता हुआ दिखाई देता है लेकिन भीतर से वह लकड़े और प्लायवुड को पूरा का पूरा खा लेती है। एक बार दीमक लगने के बाद कितने ही पेस्ट कंट्रोल ट्रीटमेंट करो, कुछ भी फायदा नहीं होता है। वह पूरे घर को खाक कर देती है।
गरीबी से ऊपर उठने के लिए सबसे पहले कोई भी कार्य को लेकर बचत-निवेश की फाइनेंशियल प्लानिंग करनी जरूरी है। कर्ज लेकर डेढ़-गुना, दो-गुना किस्त भरने से तो आसान है, एक रुपए के बदले आधी अथवा चार-आनी किस्त भरकर प्लानिंग करें तो बुढ़ापा जरूर सुधर जाता है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)