मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : रिस्क लेना जरूरी है लेकिन खतरा नहीं

निवेश गुरु : रिस्क लेना जरूरी है लेकिन खतरा नहीं

भरतकुमार सोलंकी

हिंदुस्थान सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। सीजन की पहली बारिश के तुरंत बाद किसान अपने खेत की जुताई में जुट जाता है, दो-चार दिन में फिर बारिश हुई तो खेत में बीज भी डाल देता है। उसके बाद फिर बारिश होगी या नहीं होगी इसकी फिक्र किए बिना ही वह अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है। किसान अपने बीज और मेहनत के निवेश को इसी उम्मीद में दांव पर लगाता है कि पंद्रह दिन-महीने बाद बारिश जरूर होगी। रिस्क लेना इस तरह हर किसान की फितरत में होता है। वह हर साल यह रिस्क लेता है, बारिश बराबर समय पर हो जाती है तो फसल पककर घर आ जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि बारिश बराबर नहीं होती है तो खेत में लगी फसल खड़े-खड़े ही सूख जाती है, जिससे उसकी सारी मेहनत और बीज का निवेश जीरो हो जाता है। लेकिन किसान अपनी हिम्मत नहीं हारता और दूसरे वर्ष जैसे ही पहली बारिश होती है, वह अपने खेत की जुताई में जुट जाता है।
किसान के लिए यह सिलसिला सदियों से चलता आ रहा है। कभी कोई साल अच्छा हुआ तो कभी सूखा पड़ जाता है। कभी फसल घर लाने की तैयारी में ही रहता है कि इतने में बाढ़ या ओलावृष्टि से सारी फसल नष्ट हो जाती है। इसके बावजूद किसान कभी हिम्मत नहीं हारता है और अगले साल फिर एक नई ऊर्जा के साथ अपने खेत की बुआई में जुट जाता है।
किसान अपने खेत की जुताई से लेकर फसल के पकने, उसे बाजार में बेचने तक की रिस्क हर साल लेता है, इसी तरह एक निवेशक अपनी पूंजी का एक हिस्सा बीज के रूप में स्टॉक मार्वेâट में लिस्ट होनेवाली नई-नई कंपनियों के आईपीओ में लगाता रहता है। कभी आईपीओ अच्छे दाम पर खुलता है तो कभी टांय-टांय फिस्स हो जाता हैं। आईपीओ में कभी शेयर लग जाते हैं तो कभी नहीं भी लगते हैं। आईपीओ सूचीबद्ध होने के बाद कई शेयर नीचे के दाम पर भी मिल जाते हैं।
शेयर बाजार में लिस्टेड होने के बाद भी कंपनियों को अपने बही-खातों का लेखा-जोखा नियमित जाहिर करना पड़ता है, प्रतिस्पर्धा के दौर में उसे सर्वश्रेष्ठ साबित करना पड़ता है। किसान विभिन्न प्रकार की खेती कर अपने व्यवसाय में रिस्क लेता है, इसी तरह इन कंपनियों के व्यापार में भी मार्वेâट रिस्क जुड़ी रहती है। व्यापार-व्यवसाय, खेती या निवेश में रिस्क तो लेना ही पड़ता है और रिस्क को मिनीमाइज भी किया जा सकता है। रिस्क और खतरा दोनों में बहुत बड़ा फर्क है। रिस्क जरूर लिया जाता है लेकिन खतरा नहीं ले सकते हैं। रिस्क को हिंदी में जोखिम और खतरे को इंग्लिश में डेंजर कहा जाता है। ट्रेन-बस, टैक्सी अथवा हवाई जहाज में यात्रा करना जोखिम तो होता है। आग, पानी-बाढ़, हवा-तूफान या बिजली के तारों को सीधे-सीधे छूना खतरा है लेकिन उचित बंदोबस्त के बिना हवा, पानी और आग से रिस्क भी रहता है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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