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बच्चियों पर दुष्कर्म सही है क्या? … बदलापुर के आंदोलन को राजनीतिक कहनेवाले मुख्यमंत्री विकृत! … उद्धव ठाकरे का जोरदार प्रहार

सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे कल बदलापुर आंदोलन को राजनीतिक बताने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर जमकर भड़के। उन्होंने सीएम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उस आंदोलन को राजनीतिक कहनेवाले मुख्यमंत्री विकृत और नराधम के समर्थक हैं। क्या दो छोटी बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म का आप समर्थन करते हैं? पूरे राज्य में जब इस घटना की निंदा हो रही थी तब मुख्यमंत्री कहां थे? यह सवाल पूछते हुए उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि चुनाव सामने देखकर जनता के पैसों को जनता के बीच ही प्रसाद के तौर पर बांटा जा रहा। इसके लिए जिस तरह से ‘लाडली बहन योजना’ का दिखावा किया जा रहा है, असल में यह वैसी है नहीं। इस तरह का जोरदार प्रहार भी उद्धव ठाकरे ने किया।

 

महाराष्ट्र बंद में भाग लें
बदलापुर में हुई बेहद वीभत्स घटना के विरोध में महाविकास आघाड़ी ने २४ अगस्त को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया है। यह सिर्फ राजनीतिक बंद नहीं है। कोरोना के खिलाफ जिस तरह पूरा महाराष्ट्र लड़ा था, अब वैसा ही समय आ गया है। असंवैधानिक सरकार को जमीनी स्तर पर आक्रोश का पता होना चाहिए। विकृत का निषेध नहीं, बल्कि उसका बंदोबस्त करने के लिए, लाडली बच्चियों की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र के सभी भाइयों, माताओं और बहनों से अनुरोध कर रहा हूं कि जाति और धर्म को किनारे रखकर २४ अगस्त के इस बंद में भाग लें।

दादागीरी करनेवाले भाई को कुचलने की
हिम्मत बहनों में है! … उद्धव ठाकरे ने साधा मुख्यमंत्री पर निशाना

शिवसेना भवन में आयोजित प्रेस काॅन्फ्रेंस में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने बदलापुर घटना को लेकर मुख्यमंत्री शिंदे के आरोप की जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि बदलापुर में ज्वाला भड़की थी, जबकि मुख्यमंत्री रत्नागिरी में थे। यह बेशर्मी की हद है। मुख्यमंत्री को तुरंत बदलापुर पहुंचना चाहिए था, लेकिन वे लाडली बहनों से राखी बंधवाकर घूम रहे थे। उन्हें इस बात का एहसास ही नहीं है कि उस बंधन का कोई मतलब होता है। राखी बांधते समय बहनें कहती हैं, भाई मेरी रक्षा करना। उद्धव ठाकरे ने कहा कि यदि वही भाई दादागीरी करता है तो याद रखें कि सभी बहनों में उसे कुचलने की हिम्मत है।
घातियों ने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी लाडली बहन की तख्तियां लिए हुए थे, प्रदर्शन का राजनीतिकरण किया गया। इसकी भी उद्धव ठाकरे ने खबर ली। उन्होंने कहा कि क्या हमें इस अमानवीय घटना की निंदा नहीं करनी चाहिए? किसी घटना का विरोध करना घातियों को राजनीति वैâसे लगने लगी? उन्होंने कहा कि शिवसेना के पूर्व नगरसेवक अभिषेक घोसालकर की जब हत्या हुई, तब भी सरकार ने जिम्मेदारी झटक दी थी। गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बदतमीजी से कहा था कि अगर गाड़ी के नीचे कुत्ते भी आ जाएं तो भी आप इस्तीफा मांग लेंगे। इसका मतलब है कि सरकार को लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है। उद्धव ठाकरे ने गुस्सा भरा सवाल पूछते हुए कहा कि अगर कोई हत्या होती है तो उसकी तुलना कार से कुचले गए कुत्ते से की जाती है तो इन छोटी बच्चियों की तुलना किससे की जाएगी, क्या सरकार में शामिल लोगों के बच्चे हैं? क्या यह नराधमों की सरकार है?

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