यूूं पेशानियों पे जरूरत लिखी है
बुजुर्गों ने सारी नसीहत लिखी है
जली बस्तियां चीखती कह रही हैं
कि कूचों में देखो यूं नफरत लिखी है
ये वो खण्डहर है कि जिनमें छुपी सी
कोई खानदानी हकीकत लिखी है
ये पलकें मेरी बंद कोई न देखे
मिरे दिल की इनमें वसीयत लिखी है
किसे बोलूं तुझसे ही धोखा मिला था
यूं चेहरे पे तेरे शराफत लिखी है
खुदा का करम है कि हूं साथ तेरे
कि खामोशियों में इबादत लिखी है
‘कनक’ है सही नाम तेरा जहां में
के किस्मत में तेरी ये बरकत लिखी है।
-डॉ. कनक लता तिवारी