मुख्यपृष्ठस्तंभइस्लाम की बात : ‘हेट क्राइम' और जोंबी

इस्लाम की बात : ‘हेट क्राइम’ और जोंबी

सैयद सलमान मुंबई

किसी फिल्म की तर्ज पर देश में पिछले दिनों एक हृदयविदारक घटना घटती है। एक ट्रेन रेल की पटरियों पर सरपट दौड़ रही है। १२९५६ नंबर की यह ट्रेन जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपर फास्ट एक्सप्रेस ट्रेन है। ३१ जुलाई को सुबह तड़के ५ बजे से ५:१५ बजे के बीच वापी और बोरीवली रेलवे स्टेशनों के बीच चलती ट्रेन में ही ड्यूटी पर तैनात ३० वर्षीय आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह गोलीबारी करता है। वह पहले बी-५ कोच में अपने साथ ड्यूटी पर तैनात अपने सीनियर एएसआई टीकाराम पर गोली चलाता है। फिर उसी कोच में एक यात्री की भी गोली मारकर हत्या करता है। इसके बाद आरोपी पेंट्री कार से आगे बढ़ता है और वहां मौजूद तीसरे शख्स पर फायरिंग करता है। फिर पैंट्री कार के सामने एस-६ डिब्बे में चौथे शख्स को गोली मार देता है। एएसआई टीकाराम मीणा के अलावा अन्य तीन मृतक व्यक्तियों के नाम सैयद सैफुल्लाह, अब्दुल कादिर और असगर अब्बास शेख बताए गए हैं। आशंका यही है कि हत्या घृणा अपराध के तहत की गई है, जिसे ‘हेट क्राइम’ कहा जाता है क्योंकि ट्रेन से वायरल हुए वीडियो में चेतन मोदी-योगी के नाम से धमकियां देता नजर आ रहा है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस जांच में भी वह सहयोग तो कर ही नहीं रहा बल्कि नारे लगाता है। अब खाकी वर्दी वाला सुरक्षा नहीं करता, बल्कि कथित तौर पर अपनी विचारधारा से मेल न खाने वाले लोगों को ऑन ड्यूटी भून देता है।
हरियाणा में नफरत का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे ऐसे ही एक व्यक्ति मोनू मानेसर के समर्थन और विरोध को लेकर ही हरियाणा झुलस रहा है। इस शख्स की शह और गौरक्षा के नाम पर इस इलाके में हुई मॉब लिंचिंग में कई जानें गई हैं। इस शख्स को कुछ संगठनों का खुला समर्थन मिल रहा है। हरियाणा के नूह जिले की बृजमंडल यात्रा में मानेसर के शामिल होने की खबर से पैâले तनाव के दौरान हुई हिंसा और दंगे के बाद तनाव गुरुग्राम, फरीदाबाद और पलवल जिलों तक पैâल गया। अनेक धार्मिक स्थलों, गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया और दुकानों में तोड़फोड़ की गई। जहां दंगे के कारण हिंदू श्रद्धालुओं को मंदिर में शरण लेनी पड़ी, वहीं एक मस्जिद के नायब पेश इमाम की हत्या कर दी गई। यह नफरत आखिर एक दिन की तो नहीं होगी। इसे पाला-पोसा गया है। इस तरह की घटनाएं सामान्य घटना नहीं हैं। इसके लिए सत्ता में बने रहने को बेचैन नेताओं का प्रचार तंत्र जिम्मेदार है। इन्हीं तत्वों के दुष्प्रचार ने चेतन जैसों की रगों में नफरत भर कर उसे चलता-फिरता जोंबी बना दिया है। इस नफरत को पाले हुए चेतन और मानेसर जैसे जोंबी कभी भी किसी को नोच सकते हैं, मार सकते हैं, मॉब लिंचिंग कर सकते हैं, दंगे करवा सकते हैं। यह आईटी सेल की नफरत वाले कारखाने के वह उत्पाद बन गए हैं, जो मानव-बम बनकर समाज में घूम रहे हैं। इसके लिए बिके हुए मीडिया और टीवी की वह स्तरहीन, नफरत पैâलाने वाली बहसें जिम्मेदार हैं, जो एक पार्टी विशेष को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए इस देश की नस्लों में सालों-साल के लिए नफरत बो रही हैं। इतिहास गवाह है कि जर्मनी में ठीक ऐसा ही हुआ था। नाजियों द्वारा आम आदमी को यहूदियों का दुश्मन बना दिया गया था। जर्मन तो फिर से उठ खड़ा हुआ लेकिन हमारे यहां नफरत से उपजे इस तूफान में सिर्फ तबाही के नाम-ओ-निशान बाकी रह जाएंगे।
हिंदू-मुसलमान इस देश की साझा संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इस देश को गढ़ने में मुसलमानों का भी योगदान है। मुसलमानों में अशिक्षा और पिछड़ापन बहुत है, यह खुद मुसलमान भी मानते हैं। यह उनकी कमजोरी है। लेकिन किसी की अशिक्षा या पिछड़ापन उसके खिलाफ हिंसा की जायज वजह तो नहीं हो सकता। देश के किसी भी कोने में हर पैदा होने वाला मुसलमान देश की वैसे ही स्वाभाविक संतान है जैसे हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी वगैरह हैं। लेकिन मुस्लिम विरोधी और इस्लाम विरोधी भावनाएं इस कदर भड़का दी गई हैं कि मुसलमानों को हर दिन अपने वतन परस्त होने का सबूत देने की मजबूरी हो गई है। अब्बाजान, तालिबान, लवजिहाद, लैंड जिहाद, बुलडोजर, कब्रिस्तान, कपड़ों से पहचानो जैसे जुमलों से मुसलमानों पर कटाक्ष किया जाता है। यह सब कब रुकेगा, कहा नहीं जा सकता। हिंसा का समर्थन हिंसक तत्वों के हौसले बुलंद करता है। नतीजा सामने है। यही बात मुसलमानों पर भी लागू होती है। गनीमत है कि देश के सहिष्णु हिंदू भाई खुलकर पीड़ा में उनके साथ होते हैं। मुसलमान उनका शुक्र मनाएं, उनका साथ दें। दौर बुरा है, संयम और संवेदनशील बिरादरान-ए-वतन ही परिवर्तन और देश के उज्जवल भविष्य की आस हैं।
(लेखक मुंबई विश्वविद्यालय, गरवारे संस्थान के हिंदी पत्रकारिता विभाग में समन्वयक हैं। देश के प्रमुख प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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