मुख्यपृष्ठधर्म विशेषधनतेरस पर विशेष : यमराज की पूजा का पर्व है धनतेरस!

धनतेरस पर विशेष : यमराज की पूजा का पर्व है धनतेरस!

रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू, राजस्थान

धनतेरस का त्योहार दिवाली के पहले दिन को दर्शाता है। यह त्योहार लोगों के जीवन में समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए माना जाता है इसलिए इसे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर संभव न हो तो कोई बर्तन खरीदें। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चंद्रमा का प्रतीक है, जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। धनतेरस के दिन यमराज को प्रसन्न करने के लिए यमुना स्नान भी किया जाता है, अथवा यदि यमुना स्नान संभव न हो तो स्नान करते समय यमुना जी का स्मरण मात्र कर लेने से भी यमराज प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म की ऐसी मान्यता है कि यमराज और देवी यमुना दोनों ही सूर्य की संतानें होने से आपस में भाई-बहन हैं और दोनों में बड़ा प्रेम है इसलिए यमराज यमुना का स्नान करके दीपदान करनेवालों से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं और उन्हें अकाल मृत्यु के दोष से मुक्त कर देते हैं।
धनतेरस के दिन यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। इस दीप को यमदीवा अर्थात यमराज का दीपक कहा जाता है। रात को घर की स्त्रियां दीपक में तेल डालकर नई रूई की बत्ती बनाकर, चार बत्तियां जलाती हैं। दीपक की बत्ती दक्षिण दिशा की ओर रखनी चाहिए। जल, रोली, फूल, चावल, गुड़, नैवेद्य आदि सहित दीपक जलाकर स्त्रियां यम का पूजन करती हैं। चूंकि यह दीपक मृत्यु के नियंत्रक देव यमराज के निमित्त जलाया जाता है। अत: दीप जलाते समय पूर्ण श्रद्धा से उन्हें नमन तो करें, साथ ही यह भी प्रार्थना करें कि वे आपके परिवार पर दया दृष्टि बनाए रखें और किसी की अकाल मृत्यु न हो। धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है।
धनतेरस को मृत्यु के देवता यमराज जी की पूजा करने के लिए संध्या के समय एक वेदी (पाट्टा) पर रोली से स्वास्तिक बनाइए। उस स्वास्तिक पर एक दीपक रखकर उसे प्रज्वलित करें और उसमें एक छिद्रयुक्त कोड़ी डाल दें। अब इस दीपक के चारों ओर तीन बार गंगा जल छिड़कें। दीपक को रोली से तिलक लगाकर अक्षत और मिष्ठान आदि चढ़ाएं। इसके बाद इसमें कुछ दक्षिणा आदि रख दीजिए, जिसे बाद में किसी ब्राह्मण को दे देवें। अब दीपक पर कुछ पुष्पादि अर्पण करें। इसके बाद हाथ जोड़कर दीपक को प्रणाम करें और परिवार के प्रत्येक सदस्य को तिलक लगाएं। अब इस दीपक को अपने मुख्य द्वार के दाहिनी ओर रख दीजिए। यम पूजन करने के बाद अंत में धनवंतरी पूजा करें।
(लेखक राजस्थान सरकार से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनके लेख देश के कई समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं।)

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