- हाउसिंग लोन नहीं होगा सस्ता
- रेपो रेट कम नहीं करेगा आरबीआई
- अब खाद्य महंगाई का बनाया बहाना
लगता है आम जनता के लिए घर बनाने का सपना जल्द पूरा नहीं होनेवाला है। इसका कारण है कि मोदी राज में जहां एक तरफ खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, वहीं दूसरी तरफ आरबीआई कर्ज की महंगी होती ईएमआई में कोई राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रहा है, यानी वह रेपो रेट में कोई कमी नहीं करनेवाला है। इससे हाउसिंग लोन सस्ता नहीं होगा। गत मई महीने के लिए जब खुदरा महंगाई दर के आंकड़े घोषित हुए तो यह घटकर ४.२५ फीसदी पर आ गया था। ऐसे में हर किसी को ये उम्मीद बंधने लगी कि जल्द ही महंगी ईएमआई से राहत मिल सकती है।
लेकिन बीते कुछ दिनों में जिस प्रकार टमाटर से लेकर अरहर दाल की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है, उसके बाद आरबीआई रेपो रेट को घटाने के मूड में नहीं दिख रहा। ऐसे में कर्ज की महंगी ईएमआई में कोई कमी नहीं आनेवाली। अगले महीने आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक होगी और १० अगस्त को आरबीआई गवर्नर कमिटी के बैठक के नतीजों का एलान करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि उक्त बैठक में आरबीआई रेपो रेट को ६.५० फीसदी के लेवल पर बरकरार रख सकता है।
चावल, दूध, आटा भी बेलगाम
महंगाई केवल अरहर दाल और टमाटर तक ही सीमित नहीं है। १ जून को चावल का औसत मूल्य ३९.२८ रुपए प्रति किलो था, वह ४ जुलाई को बढ़कर ४०.२६ रुपए प्रति किलो हो चुका है। यानी २.५० फीसदी का उछाल कीमतों में आया है। चीनी ४२.५३ रुपए प्रति किलो मिल रही थी, वो अब ४३.०४ रुपए प्रति किलो मिल रही है। १ जून को प्याज का औसत मूल्य २२.३१ रुपए प्रति किलो था, वो ४ जुलाई को बढ़कर २५.३३ रुपए प्रति किलो हो चुका है। यही नहीं, इस अवधि में आटा, उड़द दाल और दूध के दाम भी बढ़े हैं। ऐसे में साफ है कि जब जून महीने के खुदरा महंगाई दर के आंकड़े आएंगे तो खाद्य महंगाई दर में फिर से उछाल देखने को मिलेगी।
अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए ₹३ करोड़ का फंड
अफोर्डेबल हाउसिंग के रुके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए सरकार बैंक्स पर दबाव बना रही है। इसके तहत वह अप्रत्यक्ष रूप से बैंक्स को ‘स्पेशल विंडो’ के लिए ₹३ लाख करोड़ जारी करने को कह रही है। असल में सरकार की एक योजना है, जिसका नाम ‘स्पेशल विंडो अफोर्डेबल एंड मिड-इनकम हाउसिंग इनवेस्टमेंट फंड’ है। इसके तहत अटके हुए अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करना है। अब सरकार चाहती है कि इसके तहत तेजी से घरों का निर्माण पूरा किया जाए। इस फंड को २०१९ में लॉन्च किया गया था और अभी तक करीब २२,५०० घरों को यह फंड दिए गए हैं।
अगले महीने आरबीआई की बैठक
जून में मॉनिटरी पॉलिसी बैठक के जो मिनट्स जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि महंगाई को टोलरेंस बैंड के भीतर लाया जा सका है लेकिन महंगाई के खिलाफ युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने तब ये भी कहा था कि ब्याज दरों के चक्र के बारे में भविष्य के पैâसलों को लेकर कोई भी गाइडेंस देना संभव नहीं है और अब जबकि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में फिर से उछाल देखा जा रहा है तो सस्ते कर्ज की उम्मीद करना अब बेमानी होगी।