मुख्यपृष्ठस्तंभसब मसाला है : अंधेरी रात होते ही आतिशबाजी शुरू!

सब मसाला है : अंधेरी रात होते ही आतिशबाजी शुरू!

श्रीकिशोर शाही

ये पाकिस्तानी भी न जाने किस मिट्टी के बने हैं। भारत के साथ फुल फ्लेज्ड जंग करने पर उतारू हैं। भारत ने तो खैर अपनी सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को तबाह किया, पर पाकिस्तानी क्यों रात होते ही आतिशबाजी शुरू कर देते हैं, यह समझ से परे है। खैर, वो तो अच्छा हुआ कि ट्रंप चचा ना ना कहते हुए बीच में चुपके से कूद पड़े और पंचायत करके युद्धविराम करवा दिया। फिर भी देखते हैं कि कितने दिन इनकी पूंछ सीधी रहती है!
ऑपरेशन सिंदूर के शुरू होते ही हिंदुस्थानियों ने एक गजब का सुकून महसूस किया। इसके बाद सेना ने प्रेस कॉन्प्रâेंस करके बता दिया कि हमने सिर्फ आतंकी मारे हैं और हमारा काम खत्म। हम कोई युद्ध भड़काना नहीं चाहते। मगर पाकिस्तानियों को अक्ल कहां? रात होते ही हो गए शुरू! पाकिस्तान तो हिंदुओं को काफिर कहता है। नाम पूछकर गोली मारी थी। मगर यह नहीं पता था कि हिंदुओं को काफिर कहनेवाले पाकिस्तान को हिंदुओं का त्योहार दिवाली इतना ज्यादा पसंद है। सो, रात होते ही रंग-बिरंगे ड्रोन और फिर मिसाइल की आतिशबाजी शुरू हो गई। इसके बाद दोनों देशों के टेलीविजन चैनलों ने मोर्चा संभाल लिया। कोई किसी से कम नहीं। पाकिस्तानी चैनलों में भारत के छह जेट मार गिराए। इनमें राफेल भी शामिल था। भारतीय चैनलों ने इसका जवाब कराची पोर्ट पर बमबारी करके दिया। पोर्ट में आग लग गई और वह जलने लगा। रावलपिंडी में जीएचक्यू के पास धमाका हो गया और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ अपने परिवार के साथ बंकर में जा छिपे। पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर का कहीं पता नहीं था, पर चैनलों ने बता दिया कि उसे हिरासत में ले लिया गया है और आधी रात के बाद पाकिस्तान में तख्तापलट हो जाएगा। इमरान के समर्थक जेल पहुंच चुके हैं। बॉलीवुड और हॉलीवुड के किसी तेज एक्शन फिल्म की तरह सीन बदल रहे थे। दर्शकों की सांसें ऊपर-नीचे हो रही थीं। लोग आधी रात के बाद भी टीवी से चिपके हुए थे। क्या पता कौन से सीन मिस कर जाएं। एक चैनल ने तो भारतीय फौज को सीधे इस्लामाबाद में घुसा दिया। ४ घंटे तक गजब की उत्तेजना रही। फिर ४ बजे के आस-पास काफी लोग सो गए और सुबह ९-१० बजे उठकर इसी आशय से टीवी ऑन किया कि अब तक तो इस्लामाबाद में तिरंगा फहरा दिया गया होगा। मगर यह क्या, चैनल वाले तो ड्रोन में ही अटके हुए थे। सुबह के वक्त सारी उत्तेजना गायब थी। फिर शक हुआ कि ये टीवी चैनल वाले टीआरपी के लिए तो कहीं कृत्रिम उत्तेजना पैदा नहीं कर रहे थे? थोड़ा बहुत तो चलता है, पर इतनी ज्यादा हवा-हवाई से मीडिया की विश्वसनीयता शक के दायरे में आ जाती है। खैर, पूरे दिन लगा नहीं कि कहीं कोई वॉर जैसा कुछ छिड़ा है। पर यह क्या, अगले दिन रात के ९ बजते फिर दिवाली शुरू हो गई। ड्रोन की आतिशबाजी होने लगी। खैर, वॉर की रिपोर्टिंग कोई बुरी बात नहीं है, मगर हमारा इतना ही कहना है कि सच दिखाइए। अपनी विश्वसनीयता को दांव पर मत लगाइए।

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