मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनाजब दे मेट! ... सिर पर नाचती मौत! ...भाग-18

जब दे मेट! … सिर पर नाचती मौत! …भाग-18

मनमोहन सिंह
जब पुलिस ऑफिसर एजेल एन्ना और एक्रिन को सीरिया के तानाशाह डॉ. असद की कहानी सुना रहा था, अचानक डोर बेल बजी और पांच लोग कमरे में घुस आए। उन्होंने बताया कि वह सब सीरिया के नेशनल इंटेलिजेंस ऑर्गेनाइजेशन ‘एमआईटी’ के ऑफिसर थे और उन्हें मिली जानकारी के मुताबिक एन्ना एक रशियन एजेंट है। वे लोग सभी को वैन में बिठाकर निकल पड़े थे।
गाड़ी अपनी स्पीड में चल रही थी और उतनी ही तेज चल रही थी एक्रिन की सोच। वह सोच रही थी यह वैâसे हो सकता है कि इतनी मासूम सूरत वाली एन्ना, बात-बात पर इमोशनल हो जानेवाली एन्ना, राशाद की जुदाई की वजह से टूटकर बीमार पड़नेवाली एन्ना और उसकी सबसे कम समय में सबसे खास बन जानेवाली दोस्त एन्ना एजेंट है? ऐसा नहीं हो सकता? यह गलत भी तो हो सकता है! यह गलतफहमी है बिल्कुल गलतफहमी। एजेल लगातार देखे जा रहा था और उसकी बॉडी लैंग्वेज देखकर वह समझ गया था कि वह कुछ न कुछ बोलने वाली है। एक्रिन की नजर उस पर पड़ी। उसने आंखों से इशारा किया कि वह चुप रहे। वह खामोश हो गई।
एन्ना को तो जैसे काठ मार गया था। वह एक बुत की तरह बैठी हुई थी। अजीब बात तो यह थी वे पांच भी आपस में बात नहीं कर रहे थे।
गाड़ी तेज स्पीड में भाग रही थी। अचानक गाड़ी ने तेजी से एक टर्न लिया। भीतर एक जोर से झटका लगा। अन्ना और एक्रिन की चीख निकल गई। लेकिन वह सब तो जैसे रबड़ के पुतले से थे। उन्होंने कोई रिएक्ट नहीं किया और अपनी सीट पर आराम से बैठे रहे। उनमें से किसी ने ड्राइवर तक से यह नहीं पूछा क्या हुआ? अब एक्रिन से रहा नहीं गया। उसने अपने गुस्से को दबाते हुए पूछ ही लिया, ‘अब मारने का भी इरादा है क्या?’
‘हां, मारने का तो इरादा था लेकिन आप मरे नहीं…!’ सामने वाले ने जिस अंदाज में जवाब दिया एक्रिन की बोलती बंद हो गई। उसे समझ में नहीं आया कि वह आगे क्या बोले।
उसकी नजर एजेल पर पड़ी। वह भी शांत बैठा हुआ था। गाड़ी के भीतर फिर वही खामोशी। पहली बार उन्होंने ड्राइवर की आवाज सुनी जो पूछ रहा था, ‘यूनिट ४ और यूनिट जीरो?’
‘यूनिट जीरो’
गाड़ी ने एक हल्का का झटका खाया और रुक गई। गाड़ी जिस पोर्च में रुकी थी वहां पर गहरा अंधेरा था। तीनों को उतारा गया। तीनों की आंखों पर पट्टी बांध दी गई। वैâप पहनी हुई दोनों महिला अधिकारियों ने एक्रिन और एन्ना का हाथ पकड़ा हुआ था। यहां पर गहरा सन्नाटा था क्योंकि उन अधिकारियों के बूट की खट-खट आवाज के अलावा वहां पर और कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। तकरीबन सौ कदम यूं ही चलते-चलते सभी रुक गए। शायद सामने लिफ्ट थी। सभी लिफ्ट में सवार हो गए। एक्रिन ने अंदाजा लगाने की कोशिश की कितनी मंजिल पर पहुंच गए हैं। लेकिन वह असफल रही क्योंकि लिफ्ट में कोई ऑटो सिस्टम नहीं था जो यह बताए कि लिफ्ट में सवार कौन सी मंजिल पर पहुंच गए हैं या कौन सी मंजिल पार कर रहे हैं।
लिफ्ट रुक गई। सभी बाहर निकले। ‘यूनिट जीरो ऑब्लिक ०२१’ एक महिला अफसर की आवाज सुनाई दी। उन्होंने महसूस किया वे किसी एक कमरे में दाखिल हो रहे हैं।
कमरे में काफी ठंड थी। तीनों की आंखों की पट्टियां बंधी हुई थीं। एक्रिन और एन्ना की कमर में उन्हें कोई चीज तो चुभती हुई महसूस हुई। पीछे से आवाज गूंजी। ‘…तो मिस एक्रिन आपका कहना है एन्ना एजेंट नहीं है? लेकिन आपने गौर किया… अभी तक मिस एन्ना ने एक बार भी यह नहीं कहा कि वह एजेंट नहीं है। सिर्फ खामोशी रही है उनका जवाब। और खामोशी का मतलब समझती हैं आप? खामोशी का मतलब होता है लगाए गए आरोप को एक्सेप्ट करना! बोलिए मिस एन्ना, क्या आप रशियन एजेंट नहीं हैं? आपकी एक झूठ आपके दोस्तों की भी जान ले लेगी! तुम्हारे सिर पर मौत नाच रही है।’
‘जाओ मिस एन्ना के दोस्त को ले आओ… फिर देखते हैं कितना बड़ा झूठ बोलती है!’

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