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खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं ‘जनवारीनाथ’! … जिसने भी  बाबा जनवारी नाथ शिवलिंग पर छत डालने की कोशिश की, उसका अनिष्ट हुआ

• महाशिवरात्रि पर विशेष

-विक्रम सिंह, सुल्तानपुर
यूपी के सुल्तानपुर जिले में लंभुआ कस्बे से सटे गांव सैतापुर सराय में घने जंगल के बीच स्थित है बाबा जनवारीनाथ धाम। धाम परिसर में शिवलिंग कब और कैसे आया, इसका कोई ज्ञात स्रोत नहीं है। मान्यता है कि ये स्वतःस्फूर्त हैं। कुशनगरी व आसपास के प्रतापगढ़, अमेठी, जौनपुर, अयोध्या, अंबेडकर नगर व आजमगढ़ आदि जिलों से लाखों श्रद्धालु महाशिवरात्रि व पवित्र सावन माह में नियमित जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि शिवलिंग पर छत डालने की जिसने भी कोशिश की। उसका अनिष्ट ही हुआ। लिहाजा, अब भी धाम के गर्भ गृह में मौजूद शिवलिंग खुले आसमान के नीचे विद्यमान है। शिवभक्तों की अगाध श्रद्धा व विश्वास इस धाम से जुड़ी हुई है।

कैसे पहुंचें
यूपी के सुल्तानपुर जिला मुख्यालय से २० किलोमीटर के फासले पर लखनऊ-वाराणसी हाइवे के किनारे स्थित लंभुआ कस्बे से गरएं गांव जाने वाले मार्ग पर है सैतापुर सराय गांव। यहीं है जनवारी नाथ धाम। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग ही एक मात्र साधन है। लंभुआ कस्बे से करीब दो किमी दूर स्थित धाम तक जाने के लिए पक्का मार्ग है। सड़क से करीब पांच मीटर भीतर घने जंगल (अब सामान्य) में यह स्वतः स्फूर्त शिवलिंग मौजूद है। खासी संख्या में श्रद्धालु, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं, कस्बे से पैदल आते जाते हैं।

कई दशक से यह धाम इलाके के लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। प्रत्येक सोमवार – शनिवार के अलावा महाशिवरात्रि, सावन व अधिमास में प्रतिदिन खासी संख्या में श्रद्धालु धाम में पहुंचते हैं। रुद्राभिषेक, सत्यनारायण भगवान की कथा आदि धार्मिक कार्यक्रम हमेशा धाम में होते रहते हैं। इसके अलावा मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालु घंटे भी बांधने आते हैं। परिसर में भंडारे की व्यवस्था होती है। राजगिरि जी महाराज यहां के मुख्य पुजारी हैं। बाबा जनवारीनाथ धाम सेवा संस्थान की स्थापना की है।

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