मुख्यपृष्ठअपराधपुलिस अभिरक्षा में हुई मौतों से थरथरा रही है जरायम की दुनिया!

पुलिस अभिरक्षा में हुई मौतों से थरथरा रही है जरायम की दुनिया!

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
जरायम की दुनिया में कभी उत्तर प्रदेश के शूटरों की तूती बोलती थी। दूसरों के लिए काल बनने वाले ये माफिया और शूटर इन दिनों स्वयं मुसीबत में हैं। राजधानी के सिविल कोर्ट में मुख्तार अंसारी के खास शूटर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बुधवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस घटना ने एक बार फिर से अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या की चर्चा छेड़ दी है। ऐसा नहीं है कि केवल इन्हीं तीनों बदमाशों का ऐसा हश्र हुआ है। पिछले पांच साल में यूपी के अंदर ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कुख्यात अपराधियों की न्यायिक हिरासत में हत्या हो गई। संजीव जीवा की हत्या ने पिछली घटनाओं की याद ताजा कर दी है। संजीव जीवा माफिया मुख्तार अंसारी का बेहद करीबी गैंगस्टर था। हमलावर वकील के कपड़े पहनकर आया था। मजिस्ट्रेट के सामने ही हत्यारे ने जीवा पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। इस हमले में दो पुलिसकर्मी, एक डेढ़ साल की बच्ची व उसकी मां को भी गोली लगी है। मौके पर मौजूद वकीलों ने आरोपी को दौड़ाकर पकड़ लिया। जीवा को भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी हत्याकांड में आजीवन कारवास की सजा मिली थी। वह मूल रूप से मुजफ्फरनगर के शाहपुर आदमपुर का रहने वाला था। पिछले बीस साल से वह जेल में बंद था। उस पर दो दर्जन केस दर्ज हैं। इसके पहले १५ अप्रैल को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को रिमांड में लेकर अस्पताल आयी पुलिस टीम की अभिरक्षा में हत्या हो गयी थी। अस्पताल पहुंचने से पहले वहां मौजूद मीडियाकर्मियों ने उन्हें घेर लिया। अतीक और अशरफ मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस बीच, मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे तीन हमलावरों ने दोनों पर ताबड़तोड़ गोलियां दागकर मौत के घाट उतार दिया गया था।

मुन्ना बजरंगी के नाम से एक समय पूरा यूपी कांपता था। लेकिन इस माफिया का अंत भी इसी तरह हुआ। मुन्ना को २०१८ में बागपत जेल के अंदर गोलियों से भून दिया गया था। मुन्ना का पूरा नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। मुन्ना बजरंगी का जन्म १९६७ में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पुरेदयाल गांव में हुआ था। मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। १७ साल की उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। १९८४ में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। इसके बाद उसने जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दबदबा बनाया। पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी ९० के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया। पूर्व भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी मुन्ना बजरंगी का नाम था। इस हत्याकांड के बाद से ही मुन्ना मोस्ट वॉन्टेड बन गया था। २९ अक्तूबर २००९ को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था। तीन जुलाई २०२० को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस की टीम कुख्यात बदमाश विकास दुबे को पकड़ने गई। इसी बीच विकास दुबे और उसगे गुर्गों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए। विकास दुबे और उसके गुर्गे फरार हो गए। पुलिस ने विकास के तीन सहयोगियों का एक के बाद एक एनकाउंटर किया। विकास दुबे को नौ जुलाई २०२० को उज्जैन महाकाल से गिरफ्तार किया गया था। यूपी की पुलिस उसे वापस कानपुर ला रही थी। इस बीच, गाड़ी पलट गई। पुलिस के मुताबिक, विकास दुबे ने पुलिसकर्मी का बंदूक छीनकर भागने की कोशिश की। इसी बीच, पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया।
मई २०२१ में चित्रकूट जेल में मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज और पश्चिमी यूपी का गैंगस्टर मुकीम काला बंद थे। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद मेराज ही मुख्तार का सबसे खास आदमी था। २०२१ में मेराज-मुकीम के ही जेल में गैंगस्टर अंशु दीक्षित बंद था। अंशु ने मौका मिलते ही मेराज और मुकीम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानी शुरू कर दी। गैंगवार हुआ। मेराज और मुकीम की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने अंशु दीक्षित का भी जेल के अंदर ही एनकाउंटर कर दिया। यूपी सरकार के आंकड़े बताते हैं कि २०१७ से अब तक कुल १०,७२० एनकाउंटर हो चुके हैं। इनमें अतीक अहमद के बेटे असद अहमद, उसके गुर्गे गुलाम, अरबाज और उस्मान चौधरी जैसे १९० बदमाशों को ढेर किया जा चुका है। अगर पिछले छह साल की बात करें तो बीते वर्ष पुलिस व बदमाशों के बीच मुठभेड़ का आंकड़ा सबसे कम रहा है। वर्ष २०१८ में सर्वाधिक ४१ अपराधी मारे गए थे। इससे पहले साल २०१७ में २८, साल २०१९ में ३४, साल २०२० में २६, साल २०२१ में २६ व पिछले वर्ष २०२२ में १४ अपराधी मारे गए हैं। साल २०२३ में अब तक ११ बदमाश मारे गए हैं। बीते छह वर्ष में पुलिस मुठभेड़ में २३ हजार से ज्यादा अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। एनकाउंटर के दौरान १२ पुलिसकर्मी शहीद और १४०० घायल हुए हैं।

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