मुख्यपृष्ठस्तंभजीवन दर्पण : ‘राहु’ बना देता है व्यक्ति को दिशाहीन!

जीवन दर्पण : ‘राहु’ बना देता है व्यक्ति को दिशाहीन!

•  डॉ. बालकृष्ण मिश्र

गुरुजी, मेरा अच्छा दिन कब आएगा और कुंडली में दोष क्या है, उपाय बताएं? -जितेश पटेल
(जन्म- २० सितंबर १९७२, समय-प्रात: ६:३५ बजे, भरुच- गुजरात)
जितेश जी, आपका जन्म कन्या लग्न एवं मकर राशि में हुआ है। मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। सुख भाव में राहु के साथ में बृहस्पति ने बैठकर चांडाल योग बना दिया तथा कर्म भाव पर केतु ने बैठकर शंखपाल नामक कालसर्प योग बना दिया। इस योग के कारण जीवन में सुख प्राप्त करने में अनेक प्रकार की बाधाएं आती हैं। अपने ही आदमी जिस पर आप ज्यादा भरोसा करते हैं, वही आपके साथ विश्वासघात कर बैठता है। दिमागी परेशानी एवं तनाव की स्थिति बनी रहती है। इस समय शनि की महादशा में केतु का अंत चल रहा है, जो आपके अनुकूल नहीं है। शंखपाल नामक कालसर्प योग की पूजा वैदिक विधि से कराएं। आपके जीवन में धीरे-धीरे सुधार आ जाएगा। शनि की साढ़ेसाती से शुभ फल प्राप्त करने के लिए प्रत्येक दिन कम से कम ३ बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
मेरी कुंडली में दोष क्या है? पैसा नहीं बचा पा रहा हूं। अनुकूल शादी भी नहीं हो पा रही है। कोई उपाय बताएं? -अमित गुप्ता
(जन्म- २६ दिसंबर १९९३, प्रात: ५:४५ बजे, प्रयागराज-उ.प्र.)
अमित जी, आपका जन्म वृश्चिक लग्न एवं वृष राशि में हुआ है। लग्न में राहु बैठकर समय-समय पर आपके आत्मबल को कमजोर बना रहा है। आपकी कुंडली में कालसर्प योग बना हुआ है, जिससे विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है। पूजन कराना चाहिए और विवाह में आनेवाली सारी अड़चनें दूर करने के लिए प्रतिदिन आप यूट्यूब के माध्यम से विष्णु सहस्रनाम पाठ जरूर सुनें। यदि संभव हो तो पीपल के पेड़ की परिक्रमा जल्दी से आपके समस्या का निदान हो जाएगा। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनाएं।
मेरी कुंडली में दोष क्या है? परेशानी वैâसे हल होगी, कोई उपाय बताएं? -गजेंद्र राव
(-जन्म-२९ अप्रैल, १९७७, समय-१२.४५ बजे, असम)
गजेंद्र जी, आपका जन्म कर्क लग्न एवं सिंह राशि में हुआ। लग्नेश चंद्रमा द्वितीय भाव में बैठकर आपके मन को समय-समय पर विचलित कर देता है क्योंकि लग्न में ही सप्तमेश एवं अष्टमेश होकर शनि बैठा है, जिसने आपको जिद्दी बना दिया है। आपकी कुंडली का अच्छी प्रकार से अवलोकन किया गया। द्वितीयेश सूर्य उच्च राशि का होकर के कर्म भाव में बैठकर बुध के साथ में बैठकर बुधादित्य योग बनाया है लेकिन राहु की पूर्ण दृष्टि पड़ने के कारण कर्म भाव पर स्थित ग्रहों पर पड़ने के कारण बुधादित्य योग का भी पूर्ण फल नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। आपकी कुंडली में इस समय राहु की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। इस कारण से शुभ फल प्राप्त नहीं हो पा रहा है। ग्रहण योग की पूजा वैदिक विधि से कराएं। धीरे-धीरे विकास का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। जीवन की अन्य गहराई को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।
मेरी पढ़ाई ठीक नहीं चल रही है। क्या करूं, निर्देश करें? -संजय शिर्के
(जन्म १६ अप्रैल २००१ समय ९:२५ विर्ले पार्ले-मुंबई)
संजय जी, आपका जन्म मिथुन लग्न एवं मकर राशि में हुआ। आपकी राशि पर इस समय शनि की साढ़ेसाती चल रही है। शनि की साढ़ेसाती व्यक्ति को हानि भी करवाती है। व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में कतराता भी है। आपकी कुंडली का गहन अध्ययन किया गया। लग्न में बैठा राहु व्यक्ति को दिशाहीन बना देता है तथा लग्नेश बुध भी आपका अस्त होकर पिता के स्थान यानी आप के कर्म स्थान पर नीच राशि का होकर बैठा है। ‘राहु दोषं बुधो हन्यात्’ इस नियम के आधार पर वर्तमान में आपको बुध ग्रह को ताकत देने के लिए बुधवार को उड़द की दाल दान करना चाहिए तथा शनि के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पीपल के पेड़ की परिक्रमा तथा दीपदान एवं हनुमान चालीसा का पाठ करना आवश्यक माना जाता है। परिक्रमा करते समय ‘ओम पिप्पलाश्रय संस्थिताय नम:’ जरूर बोलना है। परिक्रमा कम से कम ७ मिनट होनी चाहिए। जीवन के संपूर्ण रहस्य को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं तथा धीरे-धीरे समय अनुकूल हो जाएगा।
गुरु जी, मेरे जीवन में किस प्रकार विकास होगा। उपाय बताएं? -मोहनलाल सिंह
(जन्म- २४ मई, १९८२ समय १७.२५ बजे, साकीनाका, मुंबई)
मोहनलाल जी, आपका जन्म तुला लग्न एवं वृष राशि में हुआ है। आपकी कुंडली में पराक्रम भाव पर केतु एवं भाग्य भाव पर राहु बैठकर भाग्य ग्रहण दोष एवं पितृ दोष भी बना रहा है। इन दोषों के कारण आपके हर कार्य में अनेक प्रकार की असुविधा भी प्राप्त होती है। भाग्येश बुध आपकी कुंडली में अस्त होकर अष्टम स्थान पर बैठा है, जिससे दुर्भाग्य योग भी पैदा कर रहा है। बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए पन्ना रत्न आपको धारण करना होगा। जीवन में विकास में अवरोध करनेवाले ग्रहों की पूजा करवाएं। धीरे-धीरे आप का विकास प्रारंभ हो जाएगा।

गत सप्ताह इस स्तंभ के शीर्षक में त्रुटिवश ‘मीन’ की बजाय ‘मेष’ राशि में शनि की साढ़ेसाती प्रकाशित हो गया था।

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