मुख्यपृष्ठराशि-भविष्यजीवन दर्पण : मेष पर शुरू हुई साढ़ेसाती!

जीवन दर्पण : मेष पर शुरू हुई साढ़ेसाती!

 डॉ. बालकृष्ण मिश्र

गुरु जी, बीमार रहता हूं। कोई उपाय बनाएं? -मुकेश पांडे
(जन्म- ८ अगस्त १९७४, समय- रात्रि ००-५५ स्थान- भदोही, उ.प्र.)
मुकेश जी, आपका जन्म वृष लग्न और मीन राशि में हुआ है। लग्नेश एवं षष्ठेश शुक्र द्वितीय भाव में बैठा है तथा लग्न में ही केतु बैठकर समय-समय पर आपको डिप्रेशन में डाल देता है। आपकी कुंडली को अगर सूक्ष्मता से देखा जाए तो छठे भाव का स्वामी यदि द्वितीय स्थान पर बैठता है तो बार-बार बीमार होते हैं क्योंकि आपकी कुंडली में अनंत नामक कालसर्प योग बन रहा है। इस योग के कारण जातक को व्यक्तित्व निर्माण करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। इसका प्रभाव गृहस्थ जीवन में भी पड़ता है तथा मानसिक परेशानी पीछा नहीं छोड़ती। एक के बाद एक मुसीबत आती ही रहती है। अपने व्यक्तित्व को निर्माण करने हेतु निरंतर संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा व्यक्ति कई प्रकार के काम करके छोड़ देता है। कोई भी काम में स्थाई रुचि नहीं होती। इस समय आपकी राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी प्रारंभ हो गई है। कुंडली में रोगेश शुक्र की महादशा में शनि का अंतर चल रहा है। अत: डिप्रेशन होना स्वाभाविक है। वर्तमान में ग्रह शांति कराना आवश्यक है तथा अस्थाई लाभ प्राप्त करने के लिए अनंत नामक कालसर्प योग की पूजा समय-समय पर करवाते रहना चाहिए। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवनदर्पण बनवाएं।

गुरु जी, स्वास्थ्य खराब है। कुंडली में क्या दोष है कुछ निवारण बताएं? -माधुरी यादव
(जन्म- २१ दिसंबर २०१७ समय- सायंकाल ५:५६ स्थान- मुंबई)
माधुरी जी, आपका जन्म वृष लग्न एवं मकर राशि में हुआ है। वृष लग्न का स्वामी शुक्र ग्रह है, इस लग्न में जन्म लेनेवाले जातक का चेहरा गोल एवं गेहुंए रंग का होता है। आपकी कुंडली में लग्नेश एवं रोगेश शुक्र ने अष्टम भाव में बैठकर बालारिष्ट योग बना दिया। इस समय आपकी कुंडली में शनि भाग्येश एवं कर्मेश शुक्र के अष्टम भाव में बैठकर पिता के कार्य क्षेत्र एवं आपके स्वास्थ्य को कमजोर बना रहा है। आपकी कुंडली में कालसर्प योग भी है। भाग्य ग्रहण दोष भी बना हुआ है। सबसे पहले स्वास्थ्य को अनुकूल बनाने के निमित्त बालारिष्ट योग की पूजा वैदिक विधि से आवश्यक है। शनि की साढ़ेसाती भी चल रही है। इससे शुभ फल प्राप्त करने के लिए शनिवार को काला तिल, काली उड़द, बादाम, कोयला और नारियल शरीर से सात बार उतारा करवाकर जलाशय में बहाएं। जीवन की अन्य गहराई को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

गुरु जी, मेरी राशि क्या है। समय कैसा चल रहा है?
-कमलाकर तिवारी
(जन्म- २१ अक्टूबर १९८७ समय- दिन में ९:४५ स्थान- भदोही, उ.प्र.)
कमलाकर जी, आपका जन्म वृश्चिक लग्न एवं कन्या राशि में हुआ है। आपकी कुंडली को सूक्ष्मता से देखा गया। आपकी कुंडली में ग्रहण योग एवं पद्म नामक कालसर्प योग भी बन रहा है। गुरु की महादशा प्रारंभ होगी। आपकी कुंडली में भी गुरु द्वितीय एवं पंचमेश हो छठे भाव में बैठ करके इन दोनों घरों को कमजोर बना दिया है। अत: गुरु की महादशा सामान्य स्तर से चलेगी। जीवन में पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए वैदिक विधि से आपको ग्रह शांति उपचार करवाना आवश्यक होगा तथा ४३ दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा ७ मिनट निम्न मंत्र ‘ॐ पिप्लाश्रय संस्थिताय नम:’ बोलते हुए करें। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

मेरी राशि क्या है और मेरी शादी कब होगी बताएं?
-सीता चौधरी
(जन्म- २३ अप्रैल १९९१ समय- ५:५९ स्थान- इंदौर, मध्य प्रदेश)
सीता जी, आपका जन्म मीन लग्न एवं कर्क राशि में हुआ है। आपकी कुंडली को सूक्ष्मता से देखा गया है। चौथे स्थान पर मंगल ने बैठकर आपको मांगलिक बना दिया है। मांगलिक दोष के कारण अनुकूल जीवन साथी नहीं मिल पाता है। इसी कारण विवाह में विलंब हो रहा है। इस समय शुक्र की महादशा में बुध का अंतर चल रहा है। विवाह का समय चल रहा है। अनुकूल जीवन साथी प्राप्त करने के लिए मंगल चंडिका स्तोत्र का पाठ कराएं तथा कुंभ विवाह भी कराएं। अनुकूल जीवन साथी प्राप्त होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा और दांपत्य जीवन में आनेवाली असुविधा दूर हो जाएगी। जीवन की अन्य गहराई को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

गुरु जी, मेरी राशि क्या है और भविष्य में वैâसे होगा?
-मोहनलाल सिंह
(जन्म- ५ नवंबर १९७५ समय- रात्रि २:३५ स्थान- आजमगढ़, उ.प्र.)
मोहनलाल जी, आपका जन्म सिंह लग्न एवं वृश्चिक राशि में हुआ है। लग्नेश सूर्य है तो नीच राशि का, लेकिन पराक्रम भाव में बैठकर भाग्य भाव को पूर्ण उच्च की दृष्टि से देख रहा है, अत: आप भाग्यशाली हैं लेकिन पराक्रम भाव पर राहु ने सूर्य के साथ बैठकर ग्रहण योग बना दिया है तथा भाग्य भाव पर केतु बैठकर भाग्य ग्रहण दोष बना दिया। सूक्ष्मता से अवलोकन करने पर पितृदोष भी बन रहा है। भाग्य ग्रहण दोष के कारण आप अपने परिश्रम का पूर्ण पारिश्रमिक प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस समय शुक्र की महादशा चल रही है। शुक्र आपकी कुंडली में पराक्रमेश एवं कर्मेश है। उसी की महादशा चल रही है, जो आपके लिए अच्छा समय है।

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