मुख्यपृष्ठधर्म विशेषजीवन-दर्पण : शनि संबंध में अड़चन लाता है!

जीवन-दर्पण : शनि संबंध में अड़चन लाता है!

काशी के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद
डॉ. बालकृष्ण मिश्र
विद्यावारिधि (पी.एच.डी-काशी)

गुरु जी मेरा विवाह कब तक होगा। यदि कोई दोष है तो उपाय सुझाएं?
-युवराज परमार
(जन्मतिथि- २१ मई १९८५, समय-सुबह ११.४० बजे, स्थान- पाली- राजस्थान)
युवराज जी, आपका जन्म कर्क लग्न एवं वृष राशि में हुआ है। यह समझ में आ रहा है कि विवाह का कारक ग्रह बृहस्पति एवं शुक्र होता है। आपकी कुंडली में बृहस्पति सप्तम भाव पर नीच राशि में बैठा है। इस योग के कारण अनुकूल पत्नी मिलना न मिलना तथा बार-बार किसी-न-किसी कारण असुविधा आती है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बताया है कि ‘स्थान हानि करो जीव:’ अर्थात बृहस्पति जिस स्थान पर रहता है उस स्थान को कमजोर बना देता है, वैसे ही शनि संबंधों में अड़चन भी डालता है। गहराई से देखा जाए तो आपकी कुंडली में चंद्र मांगलिक भी है। शनि का उपाय कराएं, विवाह का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण भी बनवाएं।

गुरु जी भविष्य में मेरा विकास कैसे होगा, कोई उपाय बताएं?
-विशाल श्रीवास्तव
(जन्मतिथि- ५ नवंबर १९७५, समय-रात्रि-२.४५ बजे, स्थान-गोरखपुर-यूपी)
विशाल जी, आपका जन्म सिंह लग्न एवं वृश्चिक राशि में हुआ है। लग्नेश सूर्य है तो नीच राशि का पराक्रम भाव में बैठकर भाग्य भाव को पूर्ण उच्च की दृष्टि से देख रहा है। अत: आप भाग्यशाली हैं लेकिन पराक्रम भाव पर राहु सूर्य के साथ में बैठकर ग्रहण योग बना दिया है तथा भाग्य भाव पर केतु बैठकर भाग्य ग्रहण दोष बना दिया है। सूक्ष्मता से अवलोकन करने पर पितृ दोष भी बन रहा है। भाग्य ग्रहण दोष के कारण आप अपने परिश्रम का पूर्ण पारिश्रमिक प्राप्त नहीं कर पाते हैं। इस समय शुक्र की महादशा चल रही है। शुक्र आपकी कुंडली में पराक्रमेश एवं कर्मेश है, उसी की महादशा चल रही है, जो आपके लिए अच्छा समय है और जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

गुरु जी, मैं पढ़ना चाहता हूं। मेरे भाग्य में पढ़ाई है या नहीं, आगे पढ़ूंगा या नहीं, कोई उपाय बताएं?
-आमोद तिवारी
(जन्मतिथि-२६ अक्टूबर १९९९, समय-रात्रि ९.१५ बजे, स्थान-मालाड-मुंबई)
आमोद जी, आपका जन्म वृष लग्न एवं वृष राशि में हुआ है। शनि आपकी कुंडली में भाग्येश एवं कर्मेश होकर नीच राशि का होते हुए व्यय भाव में बैठकर भाग्य भाव एवं कर्म भाव को कमजोर बना दिया है। आपके शिक्षा स्थान का स्वामी बुध दो अंश का होकर सप्तम भाव में बैठा है तथा पराक्रम भाव में राहु एवं भाग्य भाव पर केतु बैठकर भाग्य ग्रहण दोष भी बना रहा है। भाग्य ग्रहण दोष के साथ-साथ पितृदोष भी बन रहा है। आप धीरे-धीरे अथक परिश्रम करते हुए शिक्षा को अर्जित कर सकते हैं लेकिन जीवन को कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए भाग्य ग्रहण दोष की पूजा भी आवश्यक है। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं। शिक्षा की और मजबूती के लिए गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

गुरु जी, मैं बहुत ही परेशान हूं। कृपया कारण एवं निवारण बताएं?
-अरुण सिंह
(जन्मतिथि-२७ जुलाई १९८०, समय-प्रात: ७.१५ बजे, स्थान-सोनभद्र, उ.प्र.)
अरुण जी, आपका जन्म सिंह लग्न एवं मकर राशि में हुआ। आपकी राशि पर इस समय शनि की साढ़ेसाती चल रही है तथा शनि आपकी कुंडली में सप्तमेश शुक्र के लग्न में बैठा है, जिस कारण आपकी परेशानियां और आर्थिक तंगी भी बढ़ गई होगी। शनि के द्वारा अनुकूल फल प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की ५ मिनट परिक्रमा करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनि के द्वारा शुभ फल प्राप्त होने लगेगा। आपकी कुंडली का सूक्ष्मता से अवलोकन किया गया तो लग्नेश सूर्य-चंद्र ये दोनों ग्रह राहु एवं केतु से दुष्प्रभावित हैं। अत: आपकी कुंडली में ग्रहण योग भी बना दे रहा है। इस कारण आपकी व्यग्रता भी बढ़ जाती होगी। जीवन की अन्य गहराइयों को जानने के लिए संपूर्ण जीवन दर्पण बनवाएं।

ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर आपको देंगे सलाह। बताएंगे परेशानियों का हल और आसान उपाय। अपने प्रश्नों का ज्योतिषीय उत्तर जानने के लिए आपका अपना नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान मोबाइल नं. ९२२२०४१००१ पर एसएमएस करें। उत्तर पढ़ें हर रविवार…!

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