अजय भट्टाचार्य
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकलेवाली स्थित में लुइजिन्हो फलेरियो ने राज्यसभा सांसद पद से इस्तीफा दिया है। उनका कार्यकाल अभी तीन साल सात महीने बाकी था। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया। हालांकि, उस सीट पर तृणमूल अपना पसंदीदा उम्मीदवार दे सकेगी। लंबे समय से गोवा में पार्टी के मामलों से दूर रहने के कारण, फलेरियो को टीएमसी नेतृत्व द्वारा राज्यसभा से इस्तीफा देने के लिए कहा जा रहा था। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के विजय सरदेसाई के खिलाफ फतोर्दा से २०२२ विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी फलेरियो से नाराज चल रही थी। जब गोवा में तृणमूल ने पैर पसारना शुरू किया था, तब अपनी राज्यसभा सांसद अर्पिता घोष से सीट खाली करवाकर फलेरियो को २०२१ में उच्च सदन में भेजा था। दक्षिण गोवा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र स्थित फर्तोदा विधानसभा क्षेत्र में २०२२ में गोवा फॉरवर्ड पार्टी से विजय सरदेसाई ने भारतीय जनता पार्टी के दामोदर गजानन नाईक को १,५२७ वोटों के अंतर से हराया था।
अधिया का चाबुक…
गुजरात के मुख्यमंत्री के सलाहकार और सेवानिवृत्त नौकरशाह हसमुख अधिया का भारतीय शिक्षक शिक्षा संस्थान (आईआईटीई) का दौरा और संस्थान के ५८ बीएड कॉलेजों को डी-एफिलिएट करने पर इसके प्रभाव ने कई लोगों की जुबान खोल दी है। आईआईटीई की कल्पना प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों को तैयार करने के लिए एक उत्कृष्ट संस्थान के रूप में की गई थी। माना जाता है कि अधिया ने उपकुलपति हर्षद पटेल को मोदी के विजन की दिशा में काम नहीं करने और आईआईटी को सिर्फ एक और विश्वविद्यालय बनाने के लिए फटकार लगाई थी। गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में मोदी की अन्य पालतू परियोजनाएं, जिन्हें उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शुरू किया या उनकी परिकल्पना की, उनमें चिल्ड्रन्स यूनिवर्सिटी और एक स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी शामिल हैं। एक अधिकारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘इन दोनों विश्वविद्यालयों की यात्रा भी मूल लक्ष्यों से विचलन प्रकट करेगी।’
चिराग पर बरसे चाचा
बिहार में बनते नए राजनीतिक समीकरणों के बीच रामविलास पासवान की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों धडों में आर-पार की जुबानी जंग छिड़ी हुई है। पार्टी के संसदीय दल को तोड़कर अलग हुए पशुपति कुमार पारस ने भतीजे चिराग पासवान को ‘गली का कुत्ता’ सम्मान से नवाजा है। पारस ने कहा कि हमारे पार्टी के संस्थापक और चिराग पासवान के पिता कहा करते थे कि रोड पर वही कुत्ता मरता है, जो यह नहीं कर पाता है कि उसे किस ओर जाना है। चिराग पासवान वर्तमान समय में उसी स्थिति में हैं। यह नहीं तय कर पा रहे हैं कि आखिर उन्हें किस खेमे में जाना है। चिराग पासवान को बताना चाहिए कि वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्ववाली एनडीए के साथ हैं या लालू नीतिश गठबंधन के साथ। दरअसल पारस की खीज का कारण इसी रविवार को राजद नेता राबड़ी देवी के आवास पर हुई इफ्तार पार्टी है, जिसमें चिराग पासवान भी पहुंचे थे। वहां उन्होंने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार व राबड़ी देवी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लिया। मजा यह है कि पारस के साथ गए सांसद चौधरी महबूब अली भी इस इफ्तार में हाजिर थे। चिराग तेजस्वी से भी गले मिले। जाहिर है रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत स्वाभाविक रूप से चिराग के साथ है इसलिए चचा की खिसकी हुई है। अगले साल लोकसभा चुनाव में चिराग अगर महागठबंधन के साथ हो लिए तो खतरा और ज्यादा बढ़ सकता है। इसी बीच लोजपा के बाहुबली नेता सूरजभान सिंह ने कहा है कि अगर चाचा पशुपति पारस और भतीजा चिराग पासवान एक नहीं होते हैं, दोनों की पार्टी का अस्तित्व मिट जाएगा।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।