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झांकी : जमाई राजा को तोहफा

अजय भट्टाचार्य

जमाई राजा को तोहफा
कल जमाई षष्ठी पर बंगाल के सभी सरकारी कार्यालयों में आधे दिन की छुट्टी देकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जमाई राजाओं को तोहफा दिया है। २५ मई को दोपहर २ के बाद सभी सरकारी कार्यालयों, सरकारी शिक्षण संस्थानों में छुट्टी हो जाएगी। नवान्न से जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। जमाई षष्ठी का उत्सव पश्चिम बंगाल और देश के अन्य भागों में जहां-जहां भी बंगाली समुदाय रहते हैं, काफी महत्वपूर्ण उत्सव है। यह दिन मुख्य रूप से घर के दामाद या जमाई को समर्पित होता है। इस दिन जमाई और बेटी को विशेष रूप से आमंत्रित किया जाता है। इस दिन बेटी और दामाद का विशेष आदर सत्कार किया जाता है। उन्हें विशेष सम्मान के साथ भोजन कराया जाता है। उन्हें विशेष रूप से नए कपड़े आदि दिया जाता है। इस दिन बेटी और दामाद की सास के द्वारा विशेष पूजा की जाती है। दही का टीका लगाया जाता है और हाथ पर पीला धागा बांधा जाता है। दामाद भी इस दिन अपने ससुराल पक्ष का आदर और सम्मान करता है और अपने ससुराल पक्ष के सदस्यों के लिए उपहार आदि लेकर जाता है।

पीएम देश नहीं
रविवार को अमदाबाद में मोदी समुदाय के एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिव्य ज्ञान दिया कि ‘प्रधानमंत्री का अपमान देश का अपमान है।’ एक दिन बाद उनकी इस टिप्पणी पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कटाक्ष करते हुए कहा कि संविधान की उनकी समझ यह है कि प्रधानमंत्री (पीएम) देश नहीं है, बल्कि देश के लिए काम करता है। शाह ने मोदी समुदाय की सभा में पूर्णेश मोदी के मानहानि के मुकदमे का जिक्र किया था, जिसके कारण राहुल गांधी को उनकी ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी पर एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था। शाह बोले थे कि अगर कोई किसी व्यक्ति का अपमान करता है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन अगर कोई पूरे समुदाय और देश के पीएम का अपमान करता है तो यह पूरे देश का अपमान है। पूर्णेशभाई ने इस लड़ाई को दृढ़ता से लड़ा और जीता। मैं उन्हें और अन्य लोगों को बधाई देता हूं। अपने समुदाय की गरिमा के लिए लड़ाई लड़ने के लिए पूरा देश आपके साथ है। इसी पर सिब्बल ने ट्वीट दागा था कि सरकार देश के लिए काम करती है, सरकार देश नहीं है। यूपीए १ और २ के दौरान केंद्रीय मंत्री रहे सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के समर्थन से एक स्वतंत्र सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने हाल ही में अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से एक गैर-चुनावी मंच ‘इंसाफ’ शुरू किया है।

हूं चोर निनामा….!
गुजराती फिल्म ‘हूं इकबाल’ में एक तेज-तर्रार चोर की कहानी है जो लगातार पुलिस के चंगुल से बच जाता है। इसके समानांतर एक उल्लेखनीय वास्तविक घटना इसी फिल्म के आधार को प्रतिध्वनित करती है। एक घटना में जालोद पुलिस स्टेशन के ठीक सामने स्थित एक वाहन शोरूम में चोर ने सेंध लगाई और पुलिस को उसे पकड़ने के लिए चुनौती देते हुए एक चिट्ठी पीछे छोड़ दी। चिट्ठी में लिखा था, ‘हूं चोर नथुभाई निनामा, मने पकड़ी ने बतावो (मैं चोर नथुभाई निनामा हूं। अगर पकड़ सको तो मुझे पकड़ लो)।’ चोर के चुनौती देने के दुस्साहस ने दाहोद पुलिस को चुनौती स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा। घटना की खबर पैâलते ही पुलिस ने तुरंत टीमों का गठन किया, जो मामले को सुलझाने और चोर को गिरफ्तार करने के लिए तैयार हैं। दाहोद के एसपी बलराम मीणा ने चोर को पकड़ने के लिए दृढ़ संकल्प व्यक्त किया और जनता को आश्वासन दिया कि वे जल्द ही अपराधी को पकड़ लेंगे और चिट्ठी छोड़ने के उसके असली इरादे का पर्दाफाश करेंगे। बांसवाड़ा रोड पर वाहन शोरूम के मालिक इमरान गुडाला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, १९ मई की सुबह कार्यालय के दरवाजे पर टूटे हुए ताले ने उनके कर्मचारियों का अभिवादन किया। पता चला कि कि शोरूम के सीसीटीवी कैमरों से महत्वपूर्ण निगरानी फुटेज वाले डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर के साथ ६०,००० रुपए नकद गायब थे। चोरी की गई वस्तुओं में इंटरनेट मॉडेम और विविध वस्तुएं शामिल थीं। चोर द्वारा लिखी चिट्ठी में मोबाइल नंबर के साथ कुछ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है, जिससे पुलिस को उसे पकड़ने की चुनौती मिली।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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