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झांकी : कुछ पक रहा है?

अजय भट्टाचार्य

कुछ पक रहा है?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में मची उथल-पुथल के बीच उद्योगपति गौतम अडानी की दो दिन पहले मुंबई में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से मुलाकात ने इन अटकलों को हवा दे दी है कि महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा पवार के साथ समझौता चाहती है। पार्टी में विभाजन से पहले और बाद में अडानी ने मुंबई में पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। अडानी पवार के अच्छे दोस्त हैं और माना जाता है कि वह भाजपा और पवार के बीच पुल का काम कर रहे हैं। अगर सीनियर पवार भाजपा से हाथ मिलाते हैं या कम से कम कोई फॉर्मूला बनाते हैं तो महाराष्ट्र में भाजपा अपने समीकरण बना सकती है। अडानी शायद चाचा और भतीजे यानी शरद पवार और अजीत पवार के बीच भी सुलह कराने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब साफ है कि भाजपा ने अडानी को अपने दूत की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

टेंशन में केसीआर
विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीआरएस सुप्रीमो के. चंद्रशेखर राव टेंशन में हैं। कई सर्वेक्षण रिपोर्टों ने केसीआर की नींद उड़ा दी है। सर्वे से पता चला है कि आगामी चुनाव में पांच विशेष जिले पार्टी के लिए संभावित चुनौतियों के रूप में उभरे हैं। एक तीसरे पक्ष द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, निजामाबाद, खम्मम, नलगोंडा, रंगारेड्डी और हैदराबाद में बीआरएस विधायकों की रेटिंग चिंताजनक रूप से खराब है। सर्वेक्षण ने ४ प्रतिशत से ६ प्रतिशत तक के एक महत्वपूर्ण मौन वोट कारक की पहचान की जो बीआरएस के लिए खतरा पैदा करता है। पिछले महीने के पहले और दूसरे सप्ताह में किए गए सर्वेक्षण से विधानसभा क्षेत्रों में नेताओं के बीच महत्वपूर्ण संचार अंतराल सामने आया है, खासकर उपरोक्त पांच जिलों में। इन कमियों से बीआरएस उम्मीदवारों के लिए काफी परेशानी होने की आशंका है। मंत्रियों सहित पांच जिलों के विधायकों को स्थानीय मुद्दों को उठा रहे अपने प्रतिद्वंद्वियों से गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। केसीआर ने खराब प्रदर्शन करनेवाले विधायकों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और अपने विधानसभा क्षेत्रों में सक्रिय रहने का निर्देश दिया है। १८ से ३५ वर्ष की आयु के बेरोजगार युवाओं, कर्मचारियों और महिलाओं ने विधायकों और बीआरएस के प्रदर्शन पर अपना असंतोष व्यक्त किया है। यह बढ़ता असंतोष बीआरएस में तनाव पैदा कर रहा है। सर्वेक्षण में जून के मध्य तक १७ विधानसभा क्षेत्रों में बीआरएस और कांग्रेस के बीच करीबी मुकाबले पर प्रकाश डाला गया है, जबकि जून के पहले और दूसरे हफ्ते में कराए गए सर्वे में ५ जिलों में नेताओं के बीच संवादहीनता की बात सामने आई है। दिल्ली शराब घोटाला और टीएसपीएससी प्रश्न पत्र लीक जैसे मुद्दों ने बीआरएस की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

पवन कल्याण जल्दी में नहीं
जन सेना पार्टी (जेएसपी) प्रमुख पवन कल्याण फिलहाल आंध्र प्रदेश में चुनावी गठबंधन के मुद्दे पर अपना होमवर्क पूरा कर रहे हैं। परसों को वाराही विजया यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत से पहले, पवन कल्याण ने आंतरिक समिति के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने जमीनी स्तर पर यात्रा की सफलता के लिए प्रयास किया। वाराही यात्रा को लोगों से मिली भारी प्रतिक्रिया से पता चलता है कि लोगों ने पार्टी का बहुत स्वागत किया है। यात्रा पर विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं का अधिक ध्यान गया। पार्टी के अंदर से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक, जेएसपी के पास गठबंधन के बारे में सोचने का अभी भी समय है। अकेले जाना है या साथ जाना है, इस मुद्दे पर बाद में चर्चा की जाएगी। मंडल स्तर पर व्यापक अध्ययन के बाद गठबंधन पर निर्णय लिया जाएगा। अगर हम कड़ी मेहनत करेंगे तो हमें शक्ति अपने आप मिल जाएगी। इससे पहले शनिवार को मंगलागिरी में जन सेना पार्टी के मुख्य कार्यालय में निर्वाचन क्षेत्र प्रभारी और पर्यवेक्षकों के साथ एक बैठक में पवन कल्याण ने कहा कि जेएसपी लोगों के साथ है। यह जुड़वां गोदावरी जिलों में अधिक लोकप्रिय है। पवन कल्याण सत्तारूढ़ वाईएसआरसी के मुखिया मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ललकार रहे हैं। उनका कहना है कि वाईएसआरसी के सत्ता में आने के दो महीने के भीतर ही हमें सड़कों पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा। वाईएसआरसी को चुनने के एक सप्ताह के भीतर ही लोगों को अपनी गलती का पता चल गया। जहां कुछ लोग इसे एक दिन में ही समझ गए, वहीं अब ७० प्रतिशत लोगों को इसका एहसास हो गया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)

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