अजय भट्टाचार्य
और नहीं बस इंदर कौर
पंजाब के शाही शहर पटियाला में बीते सप्ताहांत भाजपा की रैली में यह स्पष्ट हो गया कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बेटी ५६ वर्षीय जय इंदर कौर लोकसभा क्षेत्र में पार्टी की धुरी बनने जा रही हैं। यह रैली केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए पूरे भारत में आयोजित की जा रही कई रैलियों की शृंखला में से एक थी। बाद में भाजपा की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि पार्टी ने पटियाला में एक प्रभावशाली रैली के साथ आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बिगुल फूंका है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में हुई इस रैली में पंजाब भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा भी मौजूद थे। आश्चर्यजनक रूप से इस रैली में पटियाला के महाराज गैर हाजिर थे। कैप्टन अमरिंदर ने `जानबूझकर’ रैली से दूरी बनाए रखी, ताकि जय इंदर कौर को मीडिया में जगह मिल सके। जय इंदर पिछले कुछ समय से राजनीतिक हलकों में बहुत सक्रिय हैं और पंजाब भाजपा उपाध्यक्ष हैं। हुआ भी यही, अगले दिन अखबारों में जय इंदर छाई हुई थीं। उन्होंने सितंबर २०२१ में अपने पिता के साथ भाजपा का झंडा-डंडा थामा था।
मंत्री से सवाल, पत्रकार हलाल
कल्पित ९१ गालियों के बहाने कर्नाटक में पिछड़ों के कथित अपमान का दांव हारकर भी न तो भाजपा और न ही उनके नेताओं ने कोई सीख ली है। प्रधानसेवक की आलोचना करो तो तुरंत उसे देश का अपमान साबित करने में मालपुआ कंपनी अपनी पूरी ऊर्जा झोंक देती है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी परसों अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में थीं। एक जगह समोसे खाने के लिए अपनी कार से उतरीं। तभी एक हिंदी दैनिक के पत्रकार ने मंत्री महोदया से कुछ स्थानीय मुद्दे पर सवाल किए। बस इतना काफी था मंत्री महोदया के गुस्से के लिए, तमक कर बोलीं आप मेरे क्षेत्र की जनता का अपमान कर रहे हैं। मैं आपके मालिक से बात करूंगी। सवाल पूछना क्षेत्र की जनता का अपमान कब से हो गया? घटना का वीडियो वायरल हुआ और दूसरी तरफ अखबार का आधिकारिक ट्वीटर मंत्री और सरकार के सामने घुटने टेक अवस्था में संबंधित पत्रकार को अपने अखबार से जुड़े होने की बात नकार रहा था। मामला यह था कि अमेठी नगर पंचायत परशदेपुर से १४ कर्मचारी नौकरी से निकाल दिए गए हैं। इसमें एक कर्मचारी धीरेंद्र कुमार केंद्रीय मंत्री की गाड़ी के सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगा। पत्रकार ने इसी पीड़ित के लिए मंत्री से पूछा था कि कब न्याय मिलेगा? यह नौकरी कब उसे वापस मिलेगी? अब दैनिक का प्रबंधन इतना डरपोक और बुजदिल निकला कि अपने पत्रकार के पक्ष में एक शब्द नहीं बोल सका। सत्ता का इतना गुरूर भी ठीक नहीं है। बिकते होंगे कुछ पत्रकार। लेकिन जिस दिन आपको एक दमदार स्ट्रिंगर से भी पाला पड़ गया न, तो उस दिन आपकी सारी हेकड़ी उतर जाएगी। बशर्ते आप उसके सवालों को झेल सकें। स्टूडियो वाले कथित रूप से बड़े पत्रकार की जुबान भले आपके सामने नहीं खुलती हो, लेकिन गांवों और कस्बों में आज भी गणेश शंकर विद्यार्थी की प्रजाति के पत्रकार हैं। वे भले मुफलिसी में अपना जीवन जी रहे हों लेकिन उन्होंने अपने जमीर को जिंदा रखा है।
बाप बीमार, बेटा सरकार
गुजरात के मत्स्यपालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी के कार्यालय में एक अपरंपरागत व्यवस्था ने जोर पकड़ लिया है। मंत्रीजी की तबीयत इस हद तक बिगड़ गई है कि वह चलने में भी असमर्थ हैं। नतीजतन उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में मामलों को संभालने के लिए अपने बेटे और भाई हीरा सोलंकी को अलिखित पावर ऑफ अटॉर्नी दे दी है। चूंकि वे अपने कार्यालय में नियमित रूप से उपस्थित नहीं रह सकते हैं इसलिए उनका बेटा कार्यभार संभालता है और विभाग की मीटिंगें भी बुलाता है। पापाजी के अंतिम हस्ताक्षर के लिए आधिकारिक दस्तावेजों को सावधानीपूर्वक घर ले जाता है। यह एक अच्छा जुगाड़ है जो दो उद्देश्यों को पूरा करता है, एक तो बेटे को मंत्रालय चलाने की कला सीखने को मिलती है दूसरे मंत्रीजी की झांकी का जलवा भी बरकरार रहता है। भाजपा कहती है वह परिवारवाद के खिलाफ है! यहां पूरा परिवार मंत्रालय को संभाल रहा है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं तथा व्यंग्यात्मक लेखन में महारत रखते हैं।)