मुख्यपृष्ठसमाज-संस्कृति'पत्रकारिता समाज का दर्पण होती है': सचदेव

‘पत्रकारिता समाज का दर्पण होती है’: सचदेव

‘लंबी साधना का अनुष्ठान है यह’: सूर्यबाला
‘शब्द विरोधी समय में जरूरी है यह किताब’: पाठक
मुंबई। ‘यह किताब नहीं एक जरूरी दस्तावेज है। पत्रकारिता किसी भी देश की हो वह समाज का दर्पण होती है, क्योंकि वह सीधी बात कहती है। पत्रकारिता का धर्म है कि वह जिनके लिए है उनके हित की बात कहे’। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार, ‘नवनीत’ के संपादक विश्वनाथ सचदेव ने डॉ जवाहर कर्नावट की पुस्तक ‘विदेश में हिंदी पत्रकारिता'(नेशनल बुक ट्रस्ट) के लोकार्पण व विमर्श पर विश्व हिंदी अकादमी द्वारा प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में व्यक्त किये। वे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे।

आयोजन की मुख्य अतिथि कथाकार सूर्यबाला ने के कहा,’बीस वर्षों की साधना का अनुष्ठान है यह किताब। यह किताब जवाहर कर्नावट के जुनून, जीवट और उनकी दीवानगी का प्रमाण है’।

कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक ने कहा, ‘आज के इस शब्द विरोधी मौसम में ठंडी हवा के झोंके की तरह है यह किताब। आज जब देश में हिंदी पत्रकारिता असमंजस के दौर में है तब एक जरूरी संवाद की तरह 27 देशों की 120 वर्षों की हिंदी पत्रकारिता को सामने रख रही है यह किताब’।

डॉ. जवाहर कर्नावट ने कहा, ‘हिंदी को वैश्विक स्तर पर जो प्रतिष्ठा मिली है उसे सामने रखना ही था। कई देशों के संघर्ष में हिंदी का विशेष योगदान रहा है। 27 देशों के बाद मेरा लक्ष्य 100 देशों में हिंदी पत्रकारिता को सामने लाने का है।’
डॉ शीतला प्रसाद दुबे व अजित राय ने भी अपने विचार रखे। स्वागत केशव राय, संचालन डॉ रवींद्र कात्यायन व आभार पुनीत कुमार चतुर्वेदी ने व्यक्त किया।

इस मौके पर रमाकांत शर्मा, रमेश यादव, विमल मिश्र, विवेक अग्रवाल, यार मोहम्मद, के के मिश्रा, प्रज्ञा शुक्ला, राकेश त्रिपाठी, समीर गांगुली, राजीव वाष्णेय, कृष्णकुमार मिश्र, बृजेश त्रिपाठी, गंगाशरण सिंह, प्रतिमा चौहान, हौसला प्रसाद अन्वेषी, श्रीधर मिश्र, रामकुमार, जाहिद अली, आफताब आलम, संजीव शुक्ल, राजकुमार सिंह, रामकुमार सहित कला, साहित्य, संस्कृति से जुड़े कई लोग उपस्थित थे।

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