-पर्यावरण बचाने का स्टीफन ने
किया जबरदस्त जुगाड़
आज तक हिंदुस्थान में कई जुगाड़ देखे गए हैं, फिर चाहे साइकिल से वॉशिंग मशीन बनाना हो या पुरानी साड़ियों से बहुउद्देशीय रस्सियों का निर्माण हो। जुगाड़ करने में हिंदुस्थानियों का कोई सानी नहीं है। अब बिहार के होम्योपैथिक चिकित्सक प्रमोद स्टीफन को ही ले लीजिए, जिन्होंने एसी से निकलने वाली गरम हवा को भी ठंडा करने का `देसी जुगाड़’ अपनाकर पर्यावरण को बचाने के उद्देश्य से एक बेहद सराहनीय कार्य किया है। आज हम एक ऐसी `देसी टेव्निâक’ के बारे में आपको बताने वाले हैं। वैसे आप सभी तो ये बात जानते हैं कि एसी हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। घर हो या ऑफिस, कोई छोटी शॉप हो या बड़ा मॉल, सीसीटीवी वैâमरे के साथ-साथ एसी कंपलसरी हो गया है। हालांकि, एसी की हवा हमें ठंडा-ठंडा, कूल-कूल तो करती है, लेकिन इससे बाहर निकलने वाली गरम हवा उतना ही पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाती है। ऐसे में डॉ. प्रमोद स्टीफन ने कुछ ऐसा किया है, जिसकी चर्चा अब केवल बिहार के सुगौली में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में हो रही है। डॉ. स्टीगन ने सोचा कि अगर कूलर गरम हवा को ठंडा कर सकता है तो ठीक वैसे ही एसी के आउटपुट की गरम हवा को भी ठंडा किया जा सकता है। डॉ. स्टीफन ने विज्ञान की बेहद सरल तकनीकी से एसी के आउटपुट से बाहर निकलने वाली गरम हवा को ठंडा करने के लिए एक लोहे का प्रâेम बनाया, जिसके ऊपर एक लोहे की पतली पाइप लगवाई, जिससे बूंद-बूंद पानी टपकता है। एक मोटर लगवाया और प्रâेम के ऊपर एक पतला कपड़ा डाल दिया। उस कपड़े पर पानी गिरता है, तो यह कपड़ा एसी से निकलने वाली गरम हवा को ठंडा कर देता है। खास बात यह है कि इससे पानी की भी बचत की जा सकती है। इसे कहते हैं कि एक देसी जुगाड़ से डबल फायदा। है न, ये देसी जुगाड़, जो प्रदूषण को कम करने में कारगर है। हालांकि, समाधान का यह जुगाड़ प्रदूषण को रोकने में कितना मददगार है, इसका तो कोई पैमाना नहीं है, लेकिन डॉ. स्टीफन का एक अद्भुत अविष्कार वाकई सराहनीय है। यही वजह है कि अब इस टेव्निâक को पेटेंट के लिए भेजा गया है। वाकई, जुगाड़ में हम हिंदुस्थानियों को टक्कर देनेवाला कोई नहीं है…!