कमलकांत उपमन्यु
मथुरा। न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, उच्च न्यायालय, इलाहाबाद-कार्यपालक अध्यक्ष, उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ द्वारा जिला कारागार का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण दौरान जनपद न्यायाधीश राजीव भारती, सदस्य सचिव उ.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ संजय सिंह, विशेष कार्याधिकारी भागीरथ वर्मा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय चौधरी, अवनीश पाण्डेय, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्रीमती नीरू शर्मा, जिलाधिकारी पुलकित खरे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश पाण्डेय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उत्सव गौरव राज सहित न्यायिक, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारीगण, जेल अधीक्षक बृजेश कुमार, जेल चिकित्सक डाॅ. उपेन्द्र सोलंकी, डा. उत्पल सरकार, जेलर महाप्रकाश सिंह, डिप्टी जेलर सुश्री करूणेश कुमारी, श्रीमती शिवानी यादव, अनूप कुमार सहित बंदी पराविधिक स्वयंसेवकगण उपस्थित रहे। निरीक्षण दौरान जिला कारागार में 1605 बंदियों का निरूद्ध होना पाया गया।
न्यायमूर्ति द्वारा सर्वप्रथम जिला कारागार में स्थापित हथकरघा केन्द्र का निरीक्षण किया गया, जहां वंदियों द्वारा कपड़ा बनाये जाने का कार्य किया जा रहा था। इसके पश्चात् महिला बैरक में महिला बंदियों के साथ रह रहे छोटे बच्चों के खेलने हेतु बनाये गये नवीन पार्क का उद्घाटन किया गया तथा इस बैरक में निवासरत महिला बंदियों से उनके मामलों के बारे में जानकारी की गई।
न्यायमूर्ति द्वारा जिला कारागार में संचालित पोशाक सिलाई केंद्र का उद्घाटन कर वहां उपस्थित बंदियों से वार्ता की गई तथा उनके द्वारा बनाई गई पोशाकों की सराहना की गई। जिला कारागार परिसर में भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण किया गया।
न्यायमूर्ति द्वारा पाकशाला के निरीक्षण दौरान वहाँ बंदियों द्वारा बनाये जा रहे भोजन की गुणवत्ता देखी गई। अधीक्षक जिला कारागार द्वारा बताया गया कि आज बंदियों हेतु प्रात: नाश्ते में चाय, पाव रोटी व गुड़ दिया गया था तथा दोपहर के भोजन में रोटी, अरहर की दाल, आलू बंदगोभी की सब्जी तैयार की जा रही हैं। सांय काल के भोजन में रोटी, उर्द की दाल तथा मूली भुजिया की व्यवस्था की गई है। न्यायमूर्ति द्वारा जिला कारागार में स्थापित अस्पताल का निरीक्षण किया गया, जहाँ बंदी मरीजों का ईलाज किया जा रहा था। बंदी मरीजों से उनके ईलाज के बारे में बार्ता की तथा उपस्थित चिकित्सक से उनकी बीमारी की जानकारी ली गई। तदोपरान्त बंदियों की बैरकों का निरीक्षण कर वहाँ निरूद्ध बंदियों से वार्ता की तथा उनके प्रकरणों की जानकारी ली गई। निरीक्षण के दौरान जेल प्रशासन को आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।