मुख्यपृष्ठनए समाचारकांवड़ यात्रा पर निकले कन्हैया-असलम! ... न नेमप्लेट से फर्क पड़ता है...

कांवड़ यात्रा पर निकले कन्हैया-असलम! … न नेमप्लेट से फर्क पड़ता है न हिंदू-मुस्लिम से

सामना संवाददाता / लखनऊ
सावन का महीना शुरू होते ही कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है। हजारों की संख्या में नौजवान कांवड़ लेकर निकल गए हैं। बाबा भोले की भक्ति में मस्त होकर झूमते हुए हरिद्वार जा रहे हैं। होटलों, ढाबों, रेस्टोरेंट और दुकानों में भी कांवड़ियों के खाने-पीने और रहने के प्रबंध किए गए हैं। इस बीच कांवड़ लेकर निकले हिंदू-मुस्लिम दो दोस्तों का इंटरव्यू खूब वायरल हो रहा है। उन्हें नेमप्लेट से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जारी किए गए नेमप्लेट के फरमान पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी, जिसका पूरे देश में विरोध हो रहा था, लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि नेमप्लेट विवाद ने हिंदुओं-मुस्लिमों की आस्था को ठेस पहुंचाई है, जबकि लोगों के मन में किसी तरह का धार्मिक भेदभाव नहीं है। इसका जीता-जागता उदाहरण यह वीडियो है, जिसमें दो दोस्त असलम और कन्हैया मिलकर कांवड़ लेने जा रहे हैं। उनसे जब नेमप्लेट विवाद पर एक शख्स ने बात की तो उनके जवाब ने सभी की बोलती बंद कर दी। असलम और कन्हैया अपने दोस्तों के साथ कांवड़ लेने निकले। कन्हैया ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि हमारे दिल में धर्म और जात-पात का कोई भेद नहीं है। जहां शरण मिल जाती है, वहीं रुक जाते हैं। वहीं खा लेते हैं, नहा लेते हैं। सलीम का ढाबा है, कृष्ण का होटल है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सभी हमारे भाई हैं और सभी सपोर्ट करते हैं। हर साल कांवड़ लेने जाते हैं और कई लोग रास्ते में दोस्त बन जाते हैं। मुस्लिम भी हमारे भाई हैं। कन्हैया ने कहा कि ये देखो, मेरा दोस्त मुसलमान है। इसका नाम असलम है और हम दोनों कॉलेज से दोस्त हैं। हर साल कांवड़ लेने साथ जाते हैं। इसके और मेरे बीच कोई भेद नहीं है। हमारे परिवारवाले भी कोई भेद नहीं करते। असलम ने कहा कि नाम और पहचान बता देने से कोई छोटा बड़ा या अलग धर्म का नहीं हो जाता। सबसे पहले हम इंसान हैं, जो भगवान की देन हैं। हिंदू-मुसलमान, जात-पात तो इंसानों के बनाए हुए हैं। भगवान ऐसा भेदभाव नहीं करते।

अन्य समाचार