अनिल मिश्र / पटना
बिहार के गरीबों, पिछड़ों एवं वंचितों के मसीहा के नाम से प्रसिद्ध और सरल, सहज स्वभाव के प्रतिमूर्ति भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की 101वीं जन्म जयंती के अवसर पर आयोजित स्मृति कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उन्हें सामाजिक न्याय का मसीहा बताया है। जगदीप धनखड़ ने समस्तीपुर बिहार में बतौर मुख्य अतिथि कहा कि उन्होंने सत्ता की राजनीति में परिवारवाद का घोर विरोध किया और आरक्षण लागू कर एक बड़ी आबादी के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले।
वे स्मृति कार्यक्रम में अपने संबोधन में कर्पूरी ठाकुर को भारत के महान सपूत की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि अपने छोटे से काल में ही कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक और राजनीतिक तौर पर कायाकल्प करने का नया इतिहास लिखा। सदियों की जड़ता तोड़ी। वह ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने समता युग की नई शुरुआत किया। उन्होंने अपना जीवन समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए समर्पित कर दिया था। उपराष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि आदर्श व्यक्तित्व का नजीर क्या होता है, यह जानने के लिए हमें कर्पूरी ठाकुर के जीवन को देखना चाहिए। उनका त्याग, उनका समर्पण सब आदर्श उदाहरण हैं। वह एक ऐसे राष्ट्रीय नेता थे, जो जाति, धर्म और वर्ग से ऊपर उठकर समानता और विकास पर फोकस रखते थे।
कर्पूरी ठाकुर की दूरदर्शिता को रेखांकित करते हुए वाइस प्रेसिडेंट जगदीप धनखड़ ने कहा कि वो स्टेट्समैन थे। वर्तमान में काम करने के साथ-साथ भविष्य का भी चिंतन करते थे। उन्होंने आरक्षण लागू किया। किसी विरोध की परवाह नहीं किया ।उन्होंने अंग्रेजी की अनिवार्यता को भी खत्म किया। सरकारी दफ्तर में हिंदी कामकाज को बढ़ावा दिया, लेकिन उनका उपहास भी हुआ अब हमें लग रहा है वो कितने दूरदर्शी थे। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर वर्तमान की भी सोचते थे और भविष्य की भी। वो पहले मुख्यमंत्री थे देश में जिन्होंने शिक्षा पर ध्यान दिया, वो पहले मुख्यमंत्री थे देश में जिन्होंने बिहार राज्य में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त किया। इस दौरान बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, कृषि और किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, डॉ. हरिवंश, रामनाथ ठाकुर, भागीरथ चौधरी, नित्यानंद राय के साथ ही अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।