उमेश गुप्ता / वाराणसी
शुक्रवार को पूरा देश बाबा भोलेनाथ के पूजा-अर्चना में डूबा हुआ है। महाशिवरात्रि का पर्व तो काशी की बात ही निराली है। यहां श्री काशी विश्वनाथ के दरबार में मत्था टेकने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं। इस बार भी महाशिवरात्रि पर भारी संख्या में श्रद्धालुओं का जन सैलाब बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए उमड़ पड़ा।
महाशिवरात्रि के महापर्व के मौके पर भोले की नगरी काशी बम-बम और हर-हर महादेव के नारे से गुंजायमान है। अनुमान के मुताबिक इस साल करीब 10 लाख शिव भक्त काशी विश्वनाथ के दर्शन करेंगे। इस बीच काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की तरफ से शिव-पार्वती विवाह के लाइव स्ट्रीमिंग की भी व्यवस्था पहली बार की गई है। इस बार 36 घंटे तक लाइव स्ट्रीमिंग होगी और श्रद्धालु घर बैठे भी मंगला आरती से लेकर शिव विवाह देख सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए विश्वनाथ धाम में पांच द्वार से प्रवेश और निकास का इंतजाम किया गया है। रात से ही श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो गए थे। सुबह भोर में मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए जलाभिषेक करने के लिए कपाट खोले गए। जहाँ सभी भक्तों ने काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया। तो वहीं दूसरी ओर मंदिर प्रशासन ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने आये भक्तों के ऊपर पुष्पवर्षा की।
मन्दिर के सीईओ विश्व भूषण मिश्रा ने अपने मातहतों के साथ श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट नम्बर- 4 ज्ञानवापी द्वार पर पहुंचने वाले भक्तों के ऊपर गुलाब की पंखुड़ियां बरसाईं। वहीं बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन करने आये भक्तों ने पुष्प वर्षा देख हर-हर महादेव का जयकार लगाया। मंदिर प्रशासन की मानें तो कपाट खुलने से लेकर शाम 6 बजे तक 8 लाख के करीब श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया।
मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से खास इंतजाम किया गया था। जिससे श्रद्धालुओ को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा न हो। इसके अतिरिक्त मंदिर परिसर में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे कि परिंदा भी पर न मार सके।
महाशिवरात्रि पर्व के दृष्टिगत समस्त बाबा के भक्तों के सुगमता पूर्वक दर्शन कराने हेतु मंदिर प्रशासन द्वारा धाम में पांच प्रवेश द्वारों से श्रद्धालुओं का प्रवेश व निकास सुनिश्चित किया गया। पांचों प्रवेश द्वार क्रमशः ढूंढीराज गणेश द्वार (माँ अन्नपूर्णा द्वार), गंगा द्वार (ललिता घाट), सरस्वती द्वार, विश्वनाथ द्वार (गेट नं 04) व नंदूफारिया रैम्प से श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश पा रहे थे। समस्त प्रवेश द्वारों पर समुचित बैरिकेडिंग की भी व्यवस्था कराई गई थी। जिससे किसी भी दर्शनार्थी को बाबा विश्वनाथ जी का दर्शन करने में असुविधा का सामना न करना पड़े।