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चैत्र नवरात्रि पर देवी आराधना में लीन हुई काशी,…मुख निर्मालिका के दरबार में श्रद्धालुओं का उमड़ा हुजूम

उमेश गुप्ता / वाराणसी
चैत्र नवरात्र देवी आराधना में पूरी काशी जुट गई है। प्राचीन मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्र में नौ गौरी की पूजा-अर्चना होती है। वासंतिक नवरात्र के पहले दिन मुख निर्मालिका गौरी का पूजन होता है। इनका विग्रह गायघाट स्थित हनुमान मंदिर में स्थित है। वहीं शक्ति के उपासक पहले दिन शैलपुत्री देवी का पूजन-अर्चन भी करते हैं। शैलपुत्री का मंदिर अलईपुर इलाके में है। आज दोनों देवियों के दर्शन को मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।

चैत्र नवरात्र के पहले दिन माँ शैलपुत्री के दर्शन की मान्यता है. कि माँ शैलपुत्री महान उत्साह वाली देवी और भय का नाश करने वाली है। इनकी आराधना से यश, कीर्ति, धन और विद्या कि प्राप्ति होती है और इनकी पूजा मात्र से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यतानुसार जगदम्बा माँ शैलपुत्री स्वरूप में पर्वत राज हिमालय के घर में पुत्री रूप में अवतरित हुई थी और कालांतर में जगदम्बा इसी स्वरूप में पार्वती के नाम से देवाधिदेव भगवान शंकर की अर्धांगनी हुईं। अलईपुर क्षेत्र स्थित माँ शैलपुत्री के मंदिर में दर्शन को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। हाथों में नारियल और फूल माला लेकर सभी अपनी बारी का इंतजार माँ के दर्शन के लिए कर रहे थे। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय माता दी के उद्घोष से गूंज उठा।

 

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