अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
मुंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक बड़ा और गंभीर आदेश जारी किया है, जिसमें उन पर बिना भुगतान किए व्यापारी से लिए गए एसी, वॉटर कूलर, टीवी, कंप्यूटर जैसे महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करने का आरोप है। ऐसे साधनों के कारण पुलिस आरामतलब हो जाती है।
वकील रुद्रमणि पांडेय ने बताया कि एक तरफ न्यायालय के न्यायाधीश लाइट जाने पर अंधेरे में मोमबत्ती के सहारे मामले की सुनवाई करते हैं। गर्मी के दिनों में पसीना बहता रहता है और पसीना पोंछते हुए देखे जा सकते हैं। जनरेटर काम नहीं करता। वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के काफी पुलिस स्टेशनों में एसी, जनरेटर, कूलर, कंप्यूटर लगाए गए हैं। इसके पहले भी पुलिस कार्यालय में अवैध रूप से लगे भौतिक साधनों को लेकर आवाज उठ चुकी है। इसी तरह अभी हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे से जुड़ा एक मामला सामने आया है, जहां व्यापारी नैनेश पांचाल की शिकायत पर यह सनसनीखेज मामला उजागर हुआ। व्यापारी ने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारियों ने उनसे महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उधार लिए और जब भुगतान की मांग की तो उन्हें वापस कर दिया। मामले में व्यापारी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया था।
हालांकि, अब हाई कोर्ट ने इसे पुलिस अधिकारियों की गंभीर लापरवाही मानते हुए जांच का आदेश दिया है और कहा है कि कानून के रखवाले अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकते। अदालत ने साफ किया कि पुलिसकर्मियों को अपने कार्यों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और पद की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। हाई कोर्ट के इस आदेश ने न केवल महाराष्ट्र पुलिस, बल्कि पूरे देश में कानून-व्यवस्था के रखवालों के प्रति एक सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वे अपने पद का अनुचित लाभ उठा सकते हैं?