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केजरीवाल के संघ प्रमुख भागवत से सवाल : आरएसएस को मंजूर है,  बेईमानी से सत्ता हासिल करना?

– क्या ऐसी बीजेपी की कल्पना की थी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को चिट्ठी लिखकर ५ सवाल पूछे हैं। उन्होंने चिट्ठी में कहा कि ईडी-सीबीआई की धमकी देकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ा जा रहा है। दूसरी पार्टियों की सरकारों को गिराया जा रहा है। क्या इस तरह से चुनी हुई सरकारें गिराना देश और देश के लोकतंत्र के लिए सही है?
अरविंद केजरीवाल ने लिखा, मैं यह पत्र एक राजनैतिक पार्टी के नेता की हैसियत से नहीं लिख रहा हूं, बल्कि इस देश के एक सामान्य नागरिक के तौर पर लिख रहा हूं। केजरीवाल ने पहले सवाल में पूछा है कि देशभर में तरह-तरह के लालच देकर या फिर ईडी-सीबीआई की धमकी देकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ा जा रहा है, उनकी पार्टियों को तोड़ा जा रहा है और दूसरी पार्टियों की सरकारों को गिराया जा रहा है। क्या इस तरह से चुनी हुई सरकारें गिराना देश और देश के लोकतंत्र के लिए सही है? किसी भी तरह बेईमानी करके सत्ता हासिल करना, क्या आपको या आरएसएस को यह मंजूर है? दूसरे सवाल में पूछा है कि देश के कुछ नेताओं को खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह ने सार्वजनिक मंच से भ्रष्टाचारी कहा और उसके कुछ दिन बाद ही उन्हें भारतीय जनता पार्टी में शामिल करा लिया।
जैसे २८ जून २०२३ को पीएम ने एक सार्वजनिक भाषण में एक पार्टी और उनके एक नेता पर ७० हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया। उसके कुछ दिन बाद ही उस पार्टी को तोड़ कर उसी नेता के साथ सरकार बना ली और उसी नेता को, जिसे कल तक भ्रष्ट कहते थे, उसे उप मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसे कई मामले हैं, जब दूसरी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को भाजपा में शामिल करवाया गया। क्या आपने या आरएसएस कार्यकर्ताओं ने ऐसी भाजपा की कल्पना की थी? क्या ये सब देखकर आपको कष्ट नहीं होता? तीसरे सवाल में पूछा है कि भाजपा वो पार्टी है, जो आरएसएस की कोख से पैदा हुई। ये आरएसएस की जिम्मेदारी है कि यदि भाजपा पथ भ्रमित हो तो उसे सही रास्ते पर लाए। क्या आपने कभी प्रधानमंत्री को ये सब गलत काम करने से रोका? चौथे सवाल में पूछा है कि जेपी नड्डा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि भाजपा को अब आरएसएस की जरूरत नहीं है। आरएसएस एक तरह से भाजपा की मां है। क्या बेटा इतना बड़ा हो गया कि मां को आंखें दिखाने लगा है? पांचवें सवाल में पूछा है कि आप सबने मिलकर कानून बनाया कि ७५ साल की उम्र के बाद भाजपा नेता रिटायर हो जाएंगे।
इस कानून का खूब प्रचार किया गया और इसी कानून के तहत लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कई कद्दावर भाजपा नेताओं को रिटायर किया गया। अब अमित शाह का कहना है कि वो कानून पीएम मोदी पर लागू नहीं होगा। क्या इस पर आपकी सहमति है कि जिस कानून के तहत लालकृष्ण आडवाणी को रिटायर किया गया, वो कानून अब पीएम मोदी पर लागू नहीं होगा? क्या सबके लिए कानून समान नहीं होना चाहिए?
भाजपा वो पार्टी है, जो आरएसएस की कोख से पैदा हुई। ये आरएसएस की जिम्मेदारी है कि यदि भाजपा पथ भ्रमित हो तो उसे सही रास्ते पर लाए। क्या आपने कभी प्रधानमंत्री को ये सब गलत काम करने से रोका? आज हर भारतवासी के मन में ये प्रश्न कौंध रहे हैं। मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इन सवालों पर विचार करेंगे और लोगों को इन सवालों के जवाब देंगे।
-अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री

 

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