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घाती हुए सरेंडर …आखिर ‘महानंदा’ हुआ गुजरात का!

सामना संवाददाता / मुंबई
घाती सरकार ने आखिरकार कल की कैबिनेट बैठक में महाराष्ट्र राज्य के दूध उत्पादक किसानों की शीर्ष संस्था ‘महानंद’ डेयरी को गुजरात की झोली में डालने के फैसले पर मुहर लगा दी है। पुनरुद्धार के नाम पर महानंद को गुजरात स्थित राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) को सौंप दिया गया है। महानंद को गुजरात को सौंपते समय राज्य सरकार ‘एनडीडीबी’ को २५३ करोड़, ५७ लाख रुपए का भुगतान करेगी।
राज्य में लोकसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले राज्य कैबिनेट की बैठक में महानंद डेयरी को एनडीडीबी को सौंपने के फैसले को मंजूरी दे दी गई है। ‘एक देश एक ब्रैंड’ के नाम से मोदी सरकार ने गुजरात में देश की प्रमुख डेयरियों को अमूल के अधीन लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। मोदी सरकार ने कर्नाटक के प्रमुख दूध ब्रांड ‘नंदिनी’ पर कब्जा करने की कोशिश की थी। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने केंद्र की इस कोशिश को नाकाम कर दिया था, लेकिन घाती सरकार ने अंतत: केंद्र सरकार के सामने घुटने टेक दिए और महानंद को गुजरात स्थित राष्ट्रीय डेयरी डेवलपर बोर्ड को सौंप दिया है। पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य पालन विभाग के सचिव तुकाराम मुंढे ने एक प्रेस कॉन्प्रâेंस में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, शुरुआत में महानंद डेयरी को पांच साल के लिए एनडीडीबी को दिया जाएगा, लेकिन महानंद राज्य सरकार के पास ही रहेगी, लेकिन महानंदा को पेशेवर आधार पर प्रबंध निदेशक नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने दावा किया है कि पांच साल बाद महानंद डेयरी ८४ करोड़ रुपए का मुनाफा कमाएगी।
राज्य सरकार देगी २५३ करोड़ रुपए
राज्य सरकार महानंद को पुनर्जीवित करने के लिए एनडीडीबी को २५३ करोड़ ५७ लाख रुपए देगी। जिनमें से महानंद में चार सौ से अधिक कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) दी जाएगी। वीआरएस पर १३८ करोड़ ८४ लाख रुपए खर्च होंगे, जबकि बकाया-लंबित भुगतान के लिए १२ करोड़ १६ लाख रुपए, मानवशक्ति के बकाया भुगतान के लिए ३५ करोड़ २५ लाख रुपए दिए जाएंगे।

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