रामदिनेश यादव / मुंबई
देश में विकास के नाम पर हरित क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कमोबेश यही स्थिति मुंबई में भी है। मुंबई में पर्यावरण को खूब नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कभी आरे में मेट्रो कार शेड जबरन थोपकर कई हजार पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जाता है तो कभी अंडर ग्राउंड पार्किंग के नाम पर गार्डन की जगह इमारत बनाकर बड़ी संख्या में पेड़ों को हटाया जाता है। ऐसे ही अब बांद्रा के रिक्लेमेशन में एसटीपी प्लांट की योजना लगाने के लिए ५०० से अधिक पेड़ों को हटाया जाना है। मनपा इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है। पर्यावरण प्रेमियों को मनपा की इस नीति का विरोध है। उनका कहना है कि पेड़ों को काटकर विकास करने का कोई मतलब नहीं है।
गौरतलब है कि मुंबई में गंदे पानी की प्रक्रिया कर पुन: उपयोग लायक बनाने के लिए मनपा की ओर से ७ बड़े एसटीपी प्लांट बनाए जा रहे हैं। इसी के तहत बांद्रा (प.)स्थित बांद्रा रिक्लेमेशन में भी एक एसटीपी प्लांट बनाया जा रहा है।
यहां एक एसटीपी प्लांट के लिए जिस मैदान का चयन किया गया है मनपा अधिकारियों के अनुसार, वहां कुल ७१९ पेड़ हैं। एसटीपी प्लांट के लिए इनमें से ५४७ पेड़ों को हटाया जाएगा। मनपा के अनुसार, कुछ पेड़ों को काटा जाएगा तो कुछ को ट्रांसप्लांट किया जाएगा।
यहां बड़ी संख्या में पेड़ों को नष्ट किए जाने की सूचना मिलते ही पर्यावरण प्रेमियों ने मनपा के विरोध में अभियान शुरू कर दिया है। इस योजना से यहां पेड़ों को होनेवाले नुकसान को लेकर स्थानीय लोग भी आक्रोशित हैं। पर्यावरण प्रेमियों ने मनपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि मनपा के लोग विकास के नाम पर हरित क्षेत्रों को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं, जिसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुंबई में ट्रांसप्लांट कर पेड़ों को जिंदा रखने का प्रमाण कम
उधर मनपा का दावा है कि यहां से ज्यादातर पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। उन्हीं पेड़ों को काटा जाएगा जो बिल्कुल ही ट्रांसप्लांट की स्थिति में न हों। इस परियोजना को जल्द-से-जल्द पूरा करने का लक्ष्य है। यहां जगह रिक्त होगी तो प्लांट लगाने में आसानी होगी। बता दें मनपा द्वारा ट्रांसप्लांट पेड़ों को जिंदा बचा पाने का प्रमाण बहुत कम है। ऐसे में लोगों ने ट्रांसप्लांट सिस्टम में खामियां बताकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की बस एक औपचारिकता होती है। यहां से पेड़ों को हटाने के संदर्भ में मनपा की सूचना पर स्थानीय लोगों से सजेशन लेने का काम शुरू है। यहां से पेड़ों की कटाई और हटाए जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने विभाग के ईमेल आईडी पर ईमेल भेजकर अपना विरोध जताने का अभियान शुरू किया है।
तो बांद्रा में कम हो जाएंगे पेड़
बांद्रा में रहनेवाले एक अन्य नागरिक ने कहा कि यहां पहले से वृक्षों की संख्या कम हैं। मनपा नित नई-नई परियोजना लाकर पेड़ों का सफाया कर रही है। मनपा यहां पटवर्धन पार्क में अंडरग्राउंड पार्किंग योजना ला रही है। वासवानी उद्यान में मेट्रो स्टेशन लाकर पेड़ों को काटा जा रहा है। एसटीआई परियोजना लाकर ५४७ पेड़ काटने की तैयारी में मनपा है। ऐसे में भविष्य में बांद्रा (प.) में वृक्षों की कटाई से हरित क्षेत्रों की कमी होगी। रहने के लिए बांद्रा जिस तरह बेहतर स्थान था, उसी तरह अब पर्यावरण की दृष्टि से बांद्रा (प.) का इलाका खराब हो जाएगा।
जनता को अंधेरे में रखकर पेड़ों की कटाई गलत
इस बारे में जोरू बथेना ने कहा कि मनपा लोगों को अंधेरे में रखकर यहां प्रोजेक्ट लगा कर रही है। पेड़ों को हटाने के मामले में नाम के लिए सूचना जारी की गई है। इसके बारे में पूरा विवरण बताया नहीं गया है। हमने मनपा से संपर्क कर जानकारी मांगने की कोशिश की थी। लेकिन मनपा हमें अंधेरे में रखकर अपना अभियान पूरा करने में जुटी है। हमें विकास का विरोध नहीं है लेकिन इस तरीके से बड़े-बड़े पेड़ों को काटकर विकास की योजना सिर्फ अपने फायदे के लिए लाना गलत बात है। ऐसे में हम इसका विरोध करते हैं।
वीआईपी रूम बनाने के लिए पेड़ों की बलि
पश्चिम रेलवे के बोरीवली स्टेशन पर अफसरों और उनके मिलने वालों की सुविधा के लिए वीआईपी रूम बनाने के नाम पर पेड़ों की बलि ली जा रही है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, पश्चिम रेलवे के उपनगरीय रेलवे स्टेशन के तीन नंबर प्लेटफार्म के पास बरसों पुराने पीपल के पेड़ को रेलवे विभाग ने काट डाला है। अभी वहां बचे दो और पेड़ों को काटने की योजना बनाई जा रही है। सुना जा रहा है कि वहां वीआईपी रूम का निर्माण किया जाएगा। जानकार बताते हैं कि बोरीवली (पूर्व) में एईएन ऑफिस के पास रेलवे की २००० फीट से ज्यादा जगह उपलब्ध है और पेड़ कत्लेआम होने से भी बच जाएंगे।
कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का निवास होता है। पीपल के पेड़ को लोग ब्रह्म वृक्ष मानकर उसकी पूजा करते हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि पीपल का पेड़ सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देनेवाला पेड़ होता है। वैसे भी मुंबई में प्रदूषण ज्यादा बढ़ रहा है। यहां प्रदूषण दूर करने के लिए ज्यादा-से-ज्यादा वृक्ष लगाने की आवश्यकता है। ऐसे में विकास के नाम पर पेड़ों की बलि लेना कहां तक उचित है। केंद्र में हिंदू हित की बात करनेवाली भाजपा सरकार का रेल मंत्रालय कब तक पवित्र वृक्ष पीपल की बलि लेता रहेगा। पर्यावरण की दुहाई देनेवाले संगठन रेल विभाग द्वारा की जा रही वृक्षों की कटाई पर मौन क्यों हैं? पेड़-पौधों को नष्ट कर कंक्रीट का जंगल खड़ा करना क्या यही विकास है। यह सवाल वहां से गुजरने वाले प्रत्येक नागरिक के मन में उठता दिखाई पड़ रहा है।
गौरतलब है कि बोरीवली में स्टेशन मैनेजर ऑफिस के बगल में तकरीबन ५०० फुट जगह भंगार और बेकार सामान भरकर स्टोर रूम बना रखा है, जिसे इस वीआईपी रूम हेतु डेवलप किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त बोरीवली स्टेशन अगले कुछ ही महीनों में रिडेवलपमेंट में ठेके पर जानेवाला है तो फिर अभी यह पैसे की बर्बादी क्यों? इस मामले में जब पश्चिम रेलवे के जनसंपर्क कार्यालय के अधिकारी अनुभव सक्सेना से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं संबंधित अधिकारी से बात कर बताता हूं।