नई तकनीक दिलाएगी दर्द से मुक्ति
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई समेत पूरे हिंदुस्थान में बदलती जीवनशैली और उससे होनेवाली बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। इसमें घुटने से संबंधित रोग भी शामिल हैं। हड्डी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि घुटने के जोड़ में अत्यधिक घर्षण, उठने-बैठने का गलत तरीका, बदलती जीवनशैली, मोटापा जैसे कई कारणों से यह समस्या पैदा हो सकती है। फिलहाल, मौजूदा समय में दर्द बढ़ने पर घुटना बदलना ही एकमात्र विकल्प है। लेकिन अब घुटने का असहनीय दर्द शुरू होने पर केवल घिसे हुए हिस्से को ही बदलने की उपचार पद्धति शुरू हो गई है। ऐसे में घुटने के दर्द से रोगियों को आसानी से निजात मिल जाएगी। इससे रोगियों में एक नई आशा की किरण जगी है।
उल्लेखनीय है कि बढ़ती उम्र के कारण जोड़ों और घुटनों में दर्द की समस्या होने लगती है। लेकिन आजकल की खराब जीवनशैली, खानपान में गड़बड़ी और फिजिकल एक्टिविटी की कमी के कारण युवाओं में भी यह समस्या देखने को मिल रही है। कई बार जोड़ों और घुटनों का दर्द इतना असहनीय हो जाता है कि इसकी वजह से उठना-बैठना और चलना-फिरना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कई तरह के उपाय अपनाते हैं या फिर दवाओं का सहारा लेते हैं। फिलहाल, हमारे शरीर का सबसे ज्यादा भार घुटनों पर ही पड़ता है, इसलिए घुटनों का जोड़ शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जोड़ों में से एक है। जब इसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है और चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं तो डॅक्टर घुटने के जोड़ का रिप्लेसमेंट सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जिसमें पूरा घुटनों का जोड़ बदला जाता है। लेकिन अब जोड़ों का आंशिक हिस्सा भी बदला जा सकेगा, जिसे टक्सप्लास्टी कहा जाता है। यह सर्जरी तभी की जाती है जब जोड़ का एक हिस्सा ही खराब हो।
इन हड्डियों से मिलकर बना होता है
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. विलास साल्वीr ने कहा कि घुटना खराब होने पर जोड़ों को प्रत्यारोपण किया जाता है। घुटने के जोड़ जांघ की हड्डी, टांग के निचले हिस्से की बड़ी हड्डी और घुटने को जोड़ को ढकने वाली हड्डी, इन तीनों हड्डियों से मिलकर बने होते हैं। इन तीनों हड्डियों के अंतिम छोर गद्दियों से ढंकी होती है। जब ये गद्दियां घिस जाती हैं और हड्डियों का आपस में घर्षण होने लगता है तो इससे असहनीय दर्द होता है और मरीज चलने-फिरने की स्थिति में भी नहीं हो पाता। यूनिकॉन्डलर घुटना प्रत्यारोपण तकनीक से पूरे घुटने की ओपन सर्जरी करने की जगह सिर्फ जोड़ में खराब हुए हिस्से को बदला जा सकता है। इसमें लगनेवाले जोड़ की खासियत यह है कि इसकी पॉली विटामिन ई से युक्त है जो उसे घिसने से बचाती है।
टक्सप्लास्टी के फायदे
इससे जल्दी रिकवरी होती है। सर्जरी में कम रक्तस्त्राव होता है। घुटने के काम करने की स्थिति में सुधार होता है। घुटने के बदलने के लिए पूरा घुटना खराब होने का इंतजार नहीं करना पड़ता है। छोटे चीरे से सर्जरी और सफलता का प्रतिशत अधिक है। सर्जरी के बाद जमीन पर उठना-बैठना संभव होता है।
पूरा घुटना खराब होने से
बचाती है ये तकनीकी
हाफ नी रिप्लेसमेंट सर्जरी मरीजों का घुटना पूरा खराब होने से बचाती है। डॉ. साल्वीr ने बताया कि युवा मरीजों में टक्सप्लास्टी यानि हाफ नी रिप्लेसमेंट ज्यादा कारगर होती है, क्योंकि इस सर्जरी का यह फायदा है कि इससे हम घुटने के सिर्फ खराब हिस्से को बदल सकते हैं। सर्जरी में छोटा चीरा लगाने से रक्तस्त्राव ज्यादा होने का खतरा भी कम होता है। छोटे चीरे के कारण मरीज को रिकवर करने में वक्त भी कम लगता है।