सामना संवाददाता / मुंबई
कोरोना की तीनों लहरों में बुजुर्गों के साथ-साथ मासूम बच्चे भी प्रभावित हुए। इसका अंदाजा स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त आंकड़ों से लगाया जा सकता है। साल २०२० से अब तक मुंबई में कोरोना से १५ मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। ये बच्चे शून्य से एक साल के बीच के हैं। इसके साथ ही पूरे प्रदेश में करीब १० लाख बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। गोरेगांव में चार महीने के बच्चे की मौत ने एक बार फिर इस बात को उजागर कर दिया है कि कोविड अभी भी एक ज्वलंत मुद्दा है। स्वास्थ्य विभाग अभी भी लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहा है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मार्च २०२० से २३ मई २०२३ तक राज्य में ८१,६८,९३३ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से तीन फीसदी यानी २,५७,४५३ मरीज १० साल के थे, जबकि आठ फीसदी यानी ६,१६,४४७ मरीज ११ से २० साल की उम्र के बच्चे और युवा थे। इस बीच मई महीने में अब तक राज्यभर में कोविड के ३,०४२ मामले सामने आ चुके हैं। उनमें से केवल चार मामले ०-४० आयु वर्ग के थे। इनमें से केवल चार मामले १५ से ४० वर्ष के बीच के थे, जबकि ९७ मामले ० से १० साल के बच्चों के थे। इसी तरह ११ से २० साल की उम्र के २३९ मामले मिले। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अकेले अप्रैल में राज्य में ३.१ फीसदी यानी ० से १० साल की उम्र के ६८६ लोग कोविड से संक्रमित हुए हैं। दूसरी तरफ बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कोविड महामारी नहीं है। साथ ही अब इससे कोई खतरा नहीं है।
चार माह के बच्चे की मौत
मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जिस बच्चे का कोविड-१९ टेस्ट पॉजिटिव आया था, उसे अन्य कोविड पीड़ितों की तरह कोई बीमारी या दूसरी बीमारियां नहीं थी। १२ मई को उसे बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। इसके बाद उसके माता-पिता ने उसे १५ मई को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया। इसी बीच उसकी हालत बिगड़ती गई और १७ मई को श्वसन समस्या के चलते मृत्यु हो गई।
रैपिड एंटीजन टेस्ट किट नहीं
मनपा अस्पताल के एक वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा कि बच्चों को बुखार होने पर कोविड की जांच के लिए ज्यादातर अस्पतालों में रैपिड एंटीजन टेस्ट किट उपलब्ध नहीं हैं। यदि बच्चों में कोविड का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है तो हम बच्चों को एंटीवायरल दवा देना शुरू करते हैं। दुनियाभर में कोविड मरीजों की कुल संख्या में बच्चों की संख्या महज एक फीसदी है। साल २०२१ में शुरू हुई ओमायक्रॉन की लहर में इनकी संख्या बढ़ी थी।
इसके चलते हुई मौतें
जेजे अस्पताल में बालरोग विभाग की प्रमुख डॉ. बेला वर्मा के मुताबिक, साल २०२० से कोविड के चलते बच्चों को अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा था। सेंट जॉर्ज अस्पताल में कोविड सुविधा में साल २०२० और २०२१ के बीच लगभग १८ महीनों में १५० मरीज भर्ती हुए थे और ११ बच्चों की मौत हुई थी। अधिकांश पीड़ितों को टीबी, जन्मजात हृदय रोग या गंभीर कुपोषण था।