परिजनों को करना पड़ रहा समस्याओं का सामना
नागमणि पांडेय / मुंबई
मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र ठाणे के अंबरनाथ में स्थित सरकारी ग्रामीण रुग्णालय बदलापुर अस्पताल में सुविधाओं का टोटा है। यहां मुर्दों को कफन भी नसीब नहीं हो रहा है। मृतक के परिजन खुद ही कफन खरीदने को मजबूर हैं, जबकि अस्पताल प्रशासन इसे नि:शुल्क उपलब्ध करवाने का दावा करता है। इतना ही नहीं, सरकारी अस्पताल में शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी नहीं उपलब्ध हो पा रही है।
ठाणे जिला के अंतर्गत आने वाले अंबरनाथ अस्पताल में अगर कोई मरीज इमरजेंसी में किसी भी तरह की दुर्घटना, बीमारी, हार्टअटैक या अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित होकर पहुंचता है तो मरीज को साधन उपलब्ध न होने की बात कहकर इलाज के लिए ठाणे के जिला अस्पताल, जेजे या अन्य सरकारी अस्पतालों में भेज दिया जाता है। हालांकि, कई बार यहां शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है तो कई शवों को बिना पोस्टमार्टम के ही परिजनों को सौंप दिया जाता है।
मरीज के परिजनों से मंगाते हैं सामान
पड़ताल में सामने आया है कि शव को ढकने के लिए कफन का कई दिनों से टोटा है। इस स्थिति में मृतक के परिजनों को कफन के लिए दौड़ाया जाता है। इसका उदाहरण गुरुवार को देखने को मिला। गुरुवार को कोंडेश्वर के झरने में डूबने से एक युवक की मौत हो गई थी। इस दौरान पोस्टमार्टम से पहले ही पोस्टमार्टम रूम के कर्मचारियों ने पीड़ित के परिजनों को शव को बांधने के प्लास्टिक और कफन लाने के लिए कहा। जब परिजनों ने यह सामान अस्पताल को खुद से देने की बात कही तो उन्हें यह बताया कि यहां यह सब सामान उपलब्ध नहीं हैं, जिसके बाद परिजनों को मजबूरन अस्पताल से लगभग ५ किलोमीटर दूर जाकर यह सारे सामान को लाना पड़ा। इस बारे में अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कफन और प्लास्टिक जब उपलब्ध ही नहीं तो कहां से देंगे?
निजी एंबुलेंस के सहारे अस्पताल
इस अस्पताल में सिर्फ कफन ही नहीं, बल्कि एंबुलेंस की कमी है। इस अस्पताल में ग्रामीण क्षेत्रों से सर्वाधिक मरीज या शव आते हैं। ऐसे में उन्हें ले जाने के लिए अस्पताल में एंबुलेंस न होने के कारण निजी एंबुलेंस का सहारा लेने को परिजन मजबूर हैं। इतना ही नहीं एंबुलेंस वाले दोगुना पैसा भी वसूल कर रहे हैं, ऐसा भी मरीज के परिजनों का कहना है।