योगेंद्र सिंह ठाकुर / मुंबई
देश को आजाद हुए ७५ साल पूरे हो गए हैं। लेकिन अब भी देश में ऐसे कई हिस्से हैं, जहां लोगों को नदी-नाले पार कर अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए रोजाना जान जोखिम में डालनी पड़ती है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में शासन-प्रशासन भले ही विकास के तमाम दावे करे, लेकिन यहां के ग्रामीण इलाकों में आज भी बदहाली बरकरार है। विकास के तमाम दावों और इन्प्रâॉस्ट्रक्चर के सलोने सपनों के बीच आज भी यहां के कई गांवों के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं। मोदी सरकार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के तमाम विकास के दावों की आरएसएस नेता के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने पोल खोलकर रख दी है। पंडित भोला प्रसाद द्विवेदी ने ग्रामीणों की पीड़ा को बताते हुए सरकार के विकास मॉडल पर तंज कसते हुए कहा, `घर वैâ देवता ललायं बाहरी पूजा पावैं’। अमेठी संसदीय क्षेत्र की सलोन विधानसभा के डीह ब्लाक के गोपालपुर ग्राम पंचायत के पूरे लक्ष्मी नारायण, लोहारन का पुरवा सहित पांच गांव के लोगों से विकास आज भी कोसों दूर है। प्रकृति की गोद में बसे ये ग्रामीण, मार्ग और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। इन गांवों में विकास की गंगा कब पहुंचेगी कहना मुश्किल है।
यहां के लोग आज भी सड़क के लिए न सिर्फ तरस रहे हैं, बल्कि उन्हें शादी-ब्याह से लेकर अन्य शुभ कार्यों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल पहुंचाना किसी युद्ध से कम नहीं होता है।
सरकारें अमेठी के विकास के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी हैं, लेकिन विकास की योजनाएं धरालत पर न उतरकर कागजों तक ही सीमित दिखती हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह है कि विकास के नाम पर खर्च होने वाली करोड़ों की विकास निधि जाती कहां है। ग्रामीण रोजाना जोखिम भरा सफर पगडंडी के सहारे तय करते हैं।
शादी के दौरान तो बारात दरवाजे तक मुश्किल से पहुंचती है, जिससे इन गांवों के रहने वाले युवक-युवतियों से लोग अपनी बेटे-बेटियों की शादी तक करने में कतराते हैं। ग्रामीणों की समस्या की शिकायत कई बार अमेठी सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भी की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में इस बार सड़क नहीं तो वोट नहीं का प्रण लेने का विचार ग्रामीण कर रहे हैं।
-पंडित भोला प्रसाद द्विवेदी, नेता आरएसएस
ऐसा नहीं है कि गांव के लोगों ने सड़क निर्माण के लिए प्रयास नहीं किया, बल्कि हर चुनाव में जन प्रतिनिधि आश्वासन देते हैं, लेकिन आज तक इस गांव में एक सड़क नहीं बन पाई है, जिससे आजादी के अमृतकाल में भी ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
-विनोद यादव, ग्रामीण
आम दिनों में लोग पगडंडी के सहारे आवागमन करते हैं, लेकिन बारिश के दिनों में जब पगडंडियों में पानी भर जाता है। सड़क के अभाव में इस गांव में लोग रिश्तेदारी भी तय करने से कतराते हैं। सड़क के निर्माण के लिए स्मृति ईरानी से भी कई बार निवेदन किया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
-राजकुमार सिंह, ग्राम प्रधान गोपालपुर