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महिलाएं हो जाएं सावधान! … फेयरनेस क्रीम का खेल, किडनी न हो जाए फेल!

सामना संवाददाता / मुंबई
गोरा होने की चाह हर किसी में होती है। ऐसे में कुछ लोग अपने चेहरे को गोरा बनाने के लिए या फिर गोरेपन को बरकरार रखने के लिए अक्सर ही देसी-विदेशी फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। केईएम अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो फेयरनेस क्रीम के इस्तेमाल से किडनी पर गहरा असर पड़ता है? इसी तरह गोरा बनने के लिए फेयरनेस क्रीम के खेल के चक्कर में ३ महिलाओं की किडनी फेल हो गई। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब इसकी जांच की गई।

क्या है मामला?
जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र में बायोटेक की २० साल की एक छात्रा ने अकोला के एक ब्यूटीशियन से खरीदकर स्थानीय फेयरनेस क्रीम का इस्तेमाल किया। लोग उनके दमकते चेहरे और खूबसूरत फिगर के कायल होने लगे। उसका गोरापन देखकर उसकी मां और बड़ी बहन ने एक ही गोरापन क्रीम का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, लेकिन उनके चेहरे की रौनक तब गायब हो गई, जब तीनों की किडनी पर गहरा असर पड़ने लगा।

तीन महिलाओं की किडनी फेल
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अकोला की इन तीनों महिलाओं की किडनी फेल होने पर डॉक्टर हैरान रह गए। तथाकथित तौर पर फेयरनेस क्रीम के इस्तेमाल से किडनी फेल होने की स्थिति में वे तीनों महिलाएं मुंबई के लोअर परेल स्थित केईएम अस्पताल पहुंची। घंटों ऑनलाइन मंथन के बाद केईएम में नेप्रâोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. तुकाराम जमाले और अकोला के एक डॉक्टर एक ही नतीजे पर पहुंचे कि तीनों एक ही मेकअप किट का इस्तेमाल कर रही थीं।

पारा भारी पाया गया
केईएम की आयुर्वेदिक प्रयोगशाला ने फेयरनेस क्रीम सहित विभिन्न उत्पादों का परीक्षण किया। परीक्षण के बाद आए नतीजों ने डॉक्टरों को चौंका दिया। डॉ. जमालेह ने बताया कि फेयरनेस क्रीम में पारा का स्तर बहुत ज्यादा है और यह स्वीकार्य स्तर १ पीपीएम (प्रति मिलियन भाग) से कम है। बायोटेक की छात्रा के रक्त में पारा को स्तर ४६ था, जो सामान्य ७ की सीमा से नीचे है।

मां और बहन ठीक, छात्रा का चल रहा इलाज
रिपोर्ट में कहा गया है कि पारा एक भारी धातु है। यह मनुष्यों के लिए विषैला होता है और मेलानोसाइट्स, रंजकता के लिए आवश्यक कोशिकाओं को अवरुद्ध कर सकता है। डॉक्टर ने कहा कि क्रीम में पारा की मात्रा अधिक थी, जिससे किडनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और वह कोमल हो गई। हालांकि, बायोटेक की छात्रा अभी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है लेकिन उनकी मां और बहन ठीक हो चुकी हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सौंदर्य प्रसाधनों में भारी धातुओं की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। २०१४ में दिल्ली स्थित सीएसई ने ३२ क्रीमों का परीक्षण किया था, जिसमें पाया गया कि सौंदर्य प्रसाधनों में १४ भारी धातु मिश्रित थीं।

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