सामना संवाददाता / बाड़मेर
राजस्थान की सरकार की कलई खुल गई है। भाजपा की सरकार एक ओर जहां ईमानदार सरकार चलाने का दंभ भरती है। वहीं दूसरी ओर, सरकार के नाक के नीचे बाड़मेर जिले के प्रतिबंधित एरिया में बॉर्डर की जमीनें बाहरी लोगों को बेचने का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि बॉर्डर की जमीनें बिकवाने का खेल रामसर एसडीएम अनिल जैन ने अपने परिवार वालों के साथ मिलकर किया है।
बताया जा रहा है कि प्रतिबंधित क्षेत्र में २३५० बीघा जमीन को बेच दिया गया है। इस मामले की जांच बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी को सौंपी गई है। उल्लेखनीय है कि बाड़मेर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में जमीन का एक बड़ा घोटाला सामने आया है। खबर के अनुसार बीते दस माह में हरसाणी उप पंजीयक के क्षेत्र में ७ सोलर कंपनियों ने ५७३५.४ बीघा जमीन खरीदी। इसमें से अकेले रामसर एसडीएम अनिल जैन व उनके परिजन ने २३५०.४९ बीघा जमीन की रजिस्ट्री दो सोलर कंपनियों के नाम से करवाई। एसडीएम अनिल जैन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने अपने गृह क्षेत्र गडरा रोड होते हुए भी राजनीतिक रसूख के दम पर वहां के एसडीओ का अतिरिक्त चार्ज लगाकर जमीनों की खरीद-फरोख्त करवाई। आरोप है कि एसडीएम अनिल जैन ने अपने गांव बालेवा और इसके आस-पास चारणों की ढाणी समेत कई गांवों में किसानों से जमीनें औने-पौने दामों पर खरीदी। जमीन एसडीएम के भाई कपिल चंद जैन, पिता टीकमचंद और मां अणसी के नाम से पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए १० से ४० हजार रुपए प्रति बीघा में ली गई। इसके बाद एक लाख रुपए प्रति बीघा से ज्यादा की दर से सोलर कंपनियों को बेच दी। बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी का कहना है कि भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे प्रतिबंधित एरिया में बाहरी लोगों को जमीन की खरीद-फरोख्त की एसडीएम रामसर के खिलाफ शिकायत मिली है। सीएमओ के आदेश पर पूरे मामले की जांच करवा रहे हैं। वहीं, एसडीएम अनिल जैन के मुताबिक, जमीन की खरीद-फरोख्त हुई होगी या उन्होंने जमीन ली होगी, ये उनका व्यापार है। उनके पिता ४० साल से ये काम कर रहे हैं। अब मेरे नाम से रजिस्ट्री हुई है, तो बताएं। वैसे कुछ भी गलत नहीं हुआ है।