अभिषेक कुमार पाठक
एमएमआरडीए द्वारा बनाए जा रहे मेट्रो डिपो का काम लेट-लतीफी का शिकार हो चुका है। इसके अलावा मुंबई और उसके आस-पास के चार महत्वपूर्ण मेट्रो कार डिपो पर काम शुरू होना बाकी है, मांडले कार डिपो ७० प्रतिशत तैयार है। यह पूरी मेट्रो-२ लाइन की सेवा करेगा जो दहिसर-पूर्व, अंधेरी, बांद्रा और मानखुर्द के बीच संचालित होनी है। मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा शेयर किए गए अपडेट के अनुसार, जो मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में मेट्रो रेल परियोजनाओं पर काम कर रहा है, पहले चरण के तहत स्टेबलिंग यार्ड का सिविल कार्य ९६ प्रतिशत पूरा हो गया है और दूसरा स्लैब और बीम कास्टिंग सहित चरण ३६ प्रतिशत पूर्ण है।
एमएमआरडीए असमर्थ
इस बीच एमएमआरडीए मुंबई सहित एमएमआर में चार मेट्रो रेल कार डिपो में सिविल कार्य शुरू करने में असमर्थ है। ये हैं मोगरपाड़ा (मेट्रो ४), काशेली (मेट्रो ५), कांजूरमार्ग (मेट्रो ६) और उत्तन (मेट्रो ९)।
मोगरपाड़ा कार डिपो के लिए एमएमआरडीए को प्लॉट सौंपने के सरकारी आदेश का इंतजार है। वर्तमान में ठाणे में घोड़बंदर रोड के किनारे मोगरपाड़ा गांव के स्थानीय लोगों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। इस भूखंड के अधिग्रहण के बाद ही वडाला-घाटकोपर-ठाणे-कासरवडवली की मेट्रो ४ के साथ-साथ कासरवडवलीr-गायमुख की मेट्रो ४-ए का संचालन हो सकेगा।
ठाणे-भिवंडी-कल्याण मेट्रो लाइन के लिए काशेली में कार डिपो प्लाट का अधिग्रहण करने के लिए एमएमआरडीए को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस महीने की शुरुआत में एमएमआरडीए ने लोगों के साथ इसके पीछे के कारणों को समझने के लिए एक सार्वजनिक मीटिंग आयोजित किया था। यह बात सामने आई कि स्थानीय लोगों को मुआवजे की सूची से बाहर रखा जा रहा है और उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है।
सरकारी विभागों के बीच सब ठीक नहीं है
दूसरी ओर एमएमआरडीए ने कांजुरमार्ग के १५ एकड़ बड़े जमीन के हिस्से का सर्वे किया है। राज्य सरकार द्वारा जमीन का वह हिस्सा एमएमआरडीए को सौंपे जाने पर साल्ट कमिश्नर ने आपत्ति जताई है। एमएमआरडीए के अधिकारियों का कहना है कि स्वामी समर्थ नगर (लोखंडवाला)-कांजुरमार्ग लाइन के लिए निर्धारित भूमि विवादित क्षेत्र का हिस्सा नहीं है।
हालांकि, राज्य सरकार ने भायंदर के राई, मोरवा और मुर्धा गांवों के विरोध के आगे घुटने टेकने का पैâसला किया है और कार डिपो को उत्तन की तरफ लगभग २ किमी तक बढ़ा दिया है। अभी वहां पर सिविल कार्य शुरू होना बहुत दूर की बात है, क्योंकि एमएमआरडीए को पहले पर्यावरण की मंजूरी लेनी होगी।