मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ
उत्तर प्रदेश के माफियाओं की जेल और पुलिस अभिरक्षा में हुई हत्या और मौतों के बाद मृतकों के परिजनों ने गृह विभाग पर बड़ा सवाल उठाया है। उत्तर प्रदेश में गृह विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं अपने हाथ में ले रखा है। ठोंक देंगे, मिट्टी में मिला देंगे, गुंडे जेल में या ऊपर जैसे वक्तव्य कोई नई बात नहीं है। नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव लगातार यह पूछते हैं कि क्या यह मुख्यमंत्री की भाषा है? अखिलेश यादव न सिर्फ यूपी पुलिस के मुठभेड़ों को झूठा कहते हैं, बल्कि राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को गुंडा बताते हैं। स्वयं मुख्तार अंसारी ने मरने से पहले कहा था कि हमारे साथ स्वीट प्वाइजनिंग की जा रही है। मुख्तार के वकील ने अपने मुवक्किल को आधार बना कर न्यायालय की सुनवाई के दौरान भी यह बात कही थी। मुख्तार की मौत के बाद उसके सांसद भाई ने कहा है कि मुख्तार का शव नष्ट नहीं होगा। वह दफनाया गया है। यदि उसका एक बाल भी मिल जाएगा तो अब विज्ञान इतना आगे बढ़ चुका है कि मुख्तार अंसारी की मौत कैसे हुई थी, पता चल ही जाएगा। यूपी की जेलों में जहां हाईप्रोफाइल सुरक्षा रहती है, वहीं जेल सुरक्षा में लगे जवानों को बिना विस्वास में लिए सुई नहीं पहुंचा सकता। लेकिन यूपी की जेलों में न सिर्फ हथियार पहुंचे, बल्कि गैंगवार हुआ। यूपी की सरकारों का चरित्र भी माफियाओं के प्रति नरम-गरम रहा है। एक समय जो अपराधी सपा-बसपा सरकार में गुनाहों के साम्राज्य की बादशाहत किए, वहीं 2017 में यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद न सिर्फ उखड़ने लगे, बल्कि कई नामचीन गिरोह के शूटरों की मौत जेलों में हुई। इस बीच यूपी की जेलों और पुलिस अधिरक्षा में मरने वाले गैंगस्टरों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि हुई।
5 बार के विधायक रहा माफिया डॉन मुख्तार अंसारी यूपी का पहला माफिया या गैंगस्टर नहीं है, जिसकी जेल में रहते हुए मौत हुई है। 6 साल पहले गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में ही हत्या कर दी गई थी। उसकी हत्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर सुनील राठी ने कर दी थी। 14 मई 2021 को मुख्तार अंसारी के करीबी मेराज, माफिया मुकीम काला, अंडरवर्ल्ड जफर सुपारी के भाई खान मुबारक और आंशू दीक्षित की चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान मौत हो गई थी। इसी तरह साल 2015 में मथुरा की जेल में बंद गैगस्टर रोजेश टोटा की गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। बता दें कि बनारस की जेल में बंद एनआईए अफसर की हत्या के आरोपी मुनीर को फांसी की सजा सुना दी गई थी। जेल में बीमारी का इलाज न हो पाने के कारण बीएचयू में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। उसके परिजनों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था, लेकिन जेल अस्पताल ने इन्हें बीमारी से मरने की बात पर डंटा रहा। मथुरा जेल में गैंगवार में मारा गया गैंगस्टर राजेश टोटा हो या मुख्तार गिरोह से जुड़ा मुन्ना बजरंगी का खास शूटर यूपी के आंबेडकर नगर का निवासी अमन सिंह, जिसकी धनबाद जेल में ताबड़तोड़ 10 गोलियां मार कर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में खास बात यह है कि अमन के हत्या की जिम्मेदारी उसके करीबी आशीष रंजन और छोटू ने ली। मुन्ना बजरंगी स्वयं मुख्तार अंसारी का शूटर था, जो कृष्णानंद राय की हत्या में चर्चित हुआ था। इसी तरह बिहार में आतंक का प्रयाय रहे बिहार में सीवान से सांसद रहे बाहुबली शाहबुद्दीन की मौत हुई थी, जिनके परिजन आज भी उसकी बीमारी से मौत मानने को तैयार नहीं हैं। कोरोना काल हुई मौत के कारण शहाबुद्दीन की मिट्टी में मुख्तार अंसारी की तरह भीड़ नहीं हो पायी थी।
उत्तर प्रदेश में पुलिस अधिरक्षा में हुई मौतों ने तो माफियाओं की कमर तो तोड़ दी, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस की रसूख पर सवाल भी खड़ा किया। अभिरक्षा में उज्जैन से कानपुर लाए जा रहे विकास दुबे बिकरु वाले का काउंटर किया। पिछले वर्ष प्रयागराज में 15 अप्रैल को माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई असरफ की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वो पुलिस अभिरक्षा में मेडिकल जांच के लिए जा रहे थे। प्रयागराज के अस्पताल परिसर में मीडिया के सामने भारी सुरक्षा के बीच दोनों को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने दोनों को जेल से ही रिमांड पर लेकर आई थी। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोर्ट परिसर के अंदर पेशी पर आए गैंगस्टर जीवा को वकील के वेश में आए शूटरों ने 5 मिनट के अंदर ढेर कर दिया। जून 2021 में मादक द्रव्यों के साथ पकड़े जाने के आरोप में मुजफ्फरनगर जेल में बंद साजिद के मेरठ जेल में रविवार को आत्महत्या की सूचना मिली थी। परिजनों ने जेल में उसकी हत्या का आरोप लगा कर मुआवजा की मांग की थी।