राधेश्याम सिंह / विरार
वसई-विरार शहर के कई हिस्सों में पानी की कमी की शिकायतें आ रही हैं, वहीं मनपा की वितरण प्रणाली की समस्या के कारण शहर के विभिन्न हिस्सों में पानी की आपूर्ति अनियमित और कम दबाव में है। इससे कई इलाकों में पानी की किल्लत महसूस की जा रही है। ‘सिटी रिसर्च फाउंडेशन’ के अनुसार हर माह ६ करोड़ ६२ लाख ८८ हजार ३०० रुपए केवल जल वितरण पर खर्च किया जा रहा है। इतना खर्च करने के बावजूद शहर में नियमित रूप से जलापूर्ति नहीं हो पा रही है। मनपा का काफी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है। इस पानी का मूल्य देखें तो हर साल ११ करोड़, ९३ लाख, १८ हजार, ७६० रुपए का पानी बर्बाद हो रहा है।
वसई-विरार क्षेत्र के कई इलाकों में पिछले कई दिनों से पानी की अनियमित आपूर्ति की शिकायत नागरिक कर रहे हैं। कई इलाकों में दो से तीन दिनों के अंतराल में पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन पानी का लो प्रेशर होने के कारण नागरिकों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते कई रहिवासी इलाकों में पानी के लिए टैंकर का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। नागरिकों को महीने में दस दिन मनपा द्वारा पानी दिया जाता है लेकिन पूरे महीने का टैक्स लिया है। सिटी रिसर्च फाउंडेशन द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार मनपा रोजाना १० लाख लीटर पानी पर ९,६०७ रुपए खर्च करती है। इस तरह से प्रतिदिन २३० करोड़ लीटर पानी सप्लाई करने के लिए मनपा प्रतिदिन २२ लाख ०९ हजार ६१० रुपए खर्च करती है। मनपा के एक अधिकारी ने बताया कि १५ फीसदी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है। यह लीकेज अन्य मनपाओं की तुलना में सबसे ज्यादा है। इस कारण मनपा हर साल ११ करोड़, ९३ लाख, १८ हजार, ७६० रुपए पानी लीकेज के कारण बर्बाद कर रही है। इसके बावजूद भी मनपा जल वितरण योजना में सुधार पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।