म्हाडा भवन का पुनर्विकास केवल कागजों पर
कैंटीन क्षेत्र में पानी ही पानी
सामना संवाददाता / मुंबई
बांद्रा स्थित म्हाडा मुख्यालय, म्हाडा भवन की हालत काफी खराब हो गई है। इस मानसून में मुख्यालय की हर मंजिल पर लीकेज हो रहा है। दीवारों में सीलन लग गई है और कई जगह बाल्टियां लगानी पड़ रही हैं। भूतल स्थित वैंâटीन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लीकेज हो रहा है और वहां पानी ही पानी नजर आ रहा है। म्हाडा भवन का पुनर्विकास केवल कागजों पर ही है।
गौरतलब है कि राज्य के कमजोर वर्गों को किफायती दरों पर घर देने के उद्देश्य से म्हाडा की स्थापना की गई थी। बांद्रा-पूर्व स्थित १९,२०३ वर्ग मीटर जमीन पर १९६६ में म्हाडा मुख्यालय का निर्माण शुरू हुआ और १९७७ में यह इमारत पूरी हुई। इसी से म्हाडा का कामकाज शुरू हुआ, लेकिन अब मुख्यालय की इमारत काफी पुरानी हो चुकी है और इमारत की मरम्मत की बजाय पुनर्विकास की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस दिशा में म्हाडा ने म्हाडा भवन के पुनर्विकास का निर्णय लिया है और इसका प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि, यह प्रस्ताव अभी भी कागजों पर ही है और वास्तविक पुनर्विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस बीच, म्हाडा मुख्यालय की इमारत की हालत दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है।
जुलाई में बारिश बढ़ने के साथ ही म्हाडा मुख्यालय में हर जगह लीकेज हो रहा है। भूतल से चौथी मंजिल तक लीकेज हो रहा है, जिसके कारण बाल्टियां लगानी पड़ी हैं। भूतल स्थित वैंâटीन क्षेत्र में सबसे ज्यादा लीकेज हो रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि म्हाडा उपाध्यक्ष के कार्यालय के बाहर भी बाल्टियां लगाई गई हैं। कई जगह पानी जमा हो जाने के कारण फिसलने और दुर्घटना की आशंका व्यक्त की जा रही है इसलिए लीकेज की तत्काल मरम्मत करने और पुनर्विकास परियोजना को जल्द से जल्द लागू करने की आवश्यकता व्यक्त की जा रही है। इस बीच, इस संबंध में म्हाडा मुख्यालय की जिम्मेदारी संभालने वाले मुंबई मंडल के उच्च पदस्थ अधिकारियों से पूछताछ की गई, लेकिन उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।