योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर जिले में दो वर्षों में कुष्ठ रोग ने जमकर कहर बरपाया है। पिछले दो वर्षों की तुलना में इस रोग में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे स्वास्थ विभाग में हाहाकार मचा हुआ है। दहानू तालुका में कुष्ठ रोगियों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। वहां १०९ मरीज और पाए गए हैं। बताया जा रहा है कि ग्रामीण इलाकों में गलतफहमी के कारण निदान के लिए लोगों के आगे नहीं आने के कारण मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है, लेकिन कुष्ठ रोग के दुष्प्रभाव अन्य दीर्घकालिक रोगों की तरह महसूस नहीं होते हैं इसलिए ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों की अनदेखी से यह बीमारी बढ़ती जा रही है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कुष्ठ रोगियों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से सर्वेक्षण, जांच, निदान, उपचार जैसे जनजागरूकता के उपाय लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा है। जिले के अन्य इलाकों की तुलना में दहानू जैसे ग्रामीण इलाकों में अधिक कुष्ठ रोगी पाए गए हैं।
कुष्ठ रोग पहचान अभियान के तहत जिले में हर साल लगभग १,५०० कुष्ठ रोगियों का निदान किया जाता है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, २०२२-२३ में पालघर जिले में ९२५ कुष्ठ रोगी पाए गए। फरवरी २०२३-२४ तक चले सर्च ऑपरेशन के दौरान ही १,०६९ कुष्ठ रोगी मिले। इसमें अकेले दहानू तालुका के सर्वाधिक १०९ कुष्ठ रोगी शामिल हैं। पालघर जिले में १२ स्थानों पर कुष्ठ रोगियों के लिए कुष्ठ रेफरल सेवा (एलआरसी) प्रदान की जा रही है। पालघर, वानगांव, तलासरी, बोईसर, मोखाडा, विक्रमगढ़, वाड़ा जैसे नौ ग्रामीण अस्पतालों में और कासा, दहानू और जव्हार जैसे तीन उपजिला अस्पतालों में कुष्ठ रोग की जांच, निदान और उपचार प्रदान किया जा रहा है।