मुख्यपृष्ठस्तंभकिस्सों का सबक : अशांति का कारण

किस्सों का सबक : अशांति का कारण

डॉ. दीनदयाल मुरारका

महाराज धृतराष्ट्र बहुत व्याकुल थे। उन्हें नींद नहीं आ रही थी। उन्होंने महामंत्री विदुर को बुलवाया। विदुर के आते ही धृतराष्ट्र ने विदुर से कहा, मेरा मन बहुत व्याकुल है। जब से संजय पांडवों के यहां से लौटकर आया है। तब से मेरा मन बहुत अंशात है। संजय कल सभा में सभी के सामने क्या कहेगा? यह सोच-सोच कर मेरा मन व्यथित हो रहा है, मुझे नींद नहीं आ रही है।
यह सुनकर विदुर ने महाराज से नीति की बात कही। विदुर ने कहा, जब किसी व्यक्ति चाहे वह स्त्री हो या पुरुष दोनों के जीवन में यह तीन बातें होती हैं तो उसकी नींद उड़ जाती है और मन अशांत हो जाता है। पहली बात- विदुर ने धृतराष्ट्र से कहा, यदि किसी व्यक्ति के मन में कामभाव जाग गया हो तो उसे नींद नहीं आती। जब तक कामी व्यक्ति की काम भावना तृप्त नहीं हो जाती, तब तक वह सो नहीं सकता। काम भावना व्यक्ति के मन को अशांत कर देती है और कामी किसी भी कार्य को ठीक से नहीं कर पाता। यह भावना स्त्री और पुरुष दोनों की नींद उड़ा देता है।
दूसरी बात- जब किसी स्त्री या पुरुष की शत्रुता बलवान व्यक्ति से हो जाती है, तो उसकी नींद उड़ जाती है। निर्धन और साधनहीन व्यक्ति हर पल बलवान शत्रु से बचने के उपाय सोचता रहता है। उसे हमेशा यह भय सताता है कि बलवान शत्रु की वजह से कोई अनहोनी न हो जाए?
तीसरी बात- यदि किसी व्यक्ति का सब कुछ छीन लिया गया हो, तो उसकी रातों की नींद उड़ जाती है। ऐसा इंसान न तो चैन से जी पाता है और न ही सो पाता है। इस परिस्थिति में व्यक्ति हर पल छिनी हुई वस्तु को पुन: पाने की योजना बनाता रहता है। जब तक वह उसे पुन: प्राप्त नहीं कर लेता, तब तक उसे नींद नहीं आती है। वह अशांत हो जाता है।

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