मुख्यपृष्ठस्तंभकिस्सों का सबक : बाहरी माहौल का असर

किस्सों का सबक : बाहरी माहौल का असर

डॉ. दीनदयाल मुरारका

चीनी विचारक मेन्सियस की मां एक समझदार महिला थीं। उन्होंने अपने जीवनकाल में अपने बेटे के कारण तीन बार अपना निवास स्थान बदला। पहले वे एक कब्रिस्तान के पास रहती थीं। एक दिन उन्हें लगा कि उनका बेटा धीरे-धीरे गहरे दुख में डूबता जा रहा है। दरअसल, कब्रिस्तान में आनेवाले लोग दुख से रोते-बिलखते रहते थे। वह बालक उन्हें रोज ही देखता था। इसलिए वह उन्हीं की तरह बर्ताव करने लगा।
मेन्सियस की मां को चिंता हुई और उन्होंने वहां से दूसरी जगह जाना तय कर लिया। अब वो चहल-पहल भरे बाजार में रहने लगीं। कुछ समय बाद उन्होंने देखा कि उनका बेटा मेन्सियस एक दुकानदार की तरह बर्ताव करने लगा है। वह घर का सामान सजाकर एक दुकानदार की तरह बातचीत करने लगा। उनकी मां अपने बेटे का ऐसा व्यवहार देखकर चिंतित हो गर्इं। उन्होंने वहां से निकलना तय किया। इस बार उन्होंने एक विद्यालय के पास मकान लिया। वहां मेन्सियस मेधावी विद्यार्थियों का अनुसरण करने लगा। वह अनेक विषयों की जानकारी पाने की कोशिश करने लगा और अनेक विषयों पर गहन अध्ययन करने लगा।
मां यह देखकर बड़ी प्रसन्न हुईं। उन्हें लगा कि उनके बेटे पर माहौल का सही प्रभाव पड़ा है। ऐसे वातावरण में बड़ा होकर मेन्सियस चीन का एक बहुत बड़ा विद्वान बना। यह बात तो तय है कि हमारे जीवन पर आसपास के माहौल का बहुत बड़ा फर्क पड़ता है। यदि हम जुआ खेलनेवालों की संगत में रहेंगे तो आसानी से जुए की लत से प्रभावित हो जाएंगे। हम अपना जीवन जिस तरह के व्यक्तियों के बीच बिताते हैं, उसी तरह की हमारी सोच बन जाती है। अत: हमें समय रहते ही तय कर लेना चाहिए कि हमें जीवन में क्या बनना है? उसी के अनुसार वैसी संगत में रहना चाहिए।

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