पुष्पों की सीख..

कई पुष्प ऐसे देखे
जो उगते हैं पहाड़ों पर
कठोर सीने को चीर कर
खिलते हैं चट्टानों पर।।
चक्रवात भरे तूफान भी
इन्हें झुका न पाते हैं।।
सावन – भादों की बारिश भी
इन्हें बहा न पाती है।।
कठोर चट्टानों से उत्पत्ति इनकी
पर पुष्प अत्यंत कोमल हैं
जितनी तपती चट्टाने हैं
पुष्प उतने ही शीतल हैं।।
कई पुष्प ऐसे देखे
जो कांटों में खिला करते हैं
होते अत्यंत मनोहर हैं
पर कांटों से घिरे रहते हैं।।
कांटों में रहकर भी
ये चुभना नहीं जानते
कांटे जहां जख्म देते
फूल वहीं मरहम सा काम करते हैं।।
कांटों के बीच रहकर भी पुष्प
मुस्कुराना जानता है
बिन कांटे से बैर किए
खिलना संवरना जानता है।।
पुष्प की विनम्रता देख
कांटा भी मददगार बनता है
उसे तोड़ने आता माली को
कई बार चुभता है।।
एक पुष्प ऐसा देखा
जो कीचड़ में खिला करता है
पर होता इतना सुहावन है कि
भंवरा उस पर विचरण करता है।।
सत्यपारखी पक्षी हंस
इसके पास ही निवास करता है
मंत्रमुग्ध करने वाली खुशबू ऐसी
स्वर्ग का आभास होता है।।
कीचड़ में रहते हुए भी इसका
प्रभाव न पड़ता है
कीचड़ यदि इस पर गिर जाए तो
स्वयं फिसल गिर जाता है।।
कीचड़ को अशुद्ध मानकर
उसे तिरस्कृत करते हैं
कमल पुष्प इतना शुद्ध कि
ईश्वर को समर्पित करते हैं।।

पूजा पांडेय ‘गार्गी’

अन्य समाचार

फेक आलिया