चलो आज मिलकर वही गीत गाएं।
आजाद होने का नारा लगाएं ।।
फिर आ गई है गुलामी कहीं से ।
चलो आज इसको अभी हम हटाएं।।
जनता से कह दो सजग होके आए ।
खड़ी है मुसीबत उसे हम भगाएं।।
पुराने गए सब नए आ गए हैं ।
चलो आज इनको ठिकाने लगाएं ।।
सुबह शाम देखो गजब ढा रहे हैं ।
कह दो कि हमको अधिक न सताएं।।
पूंजी के घर से सियासत चली है।
क्या कह कर इसको इधर हम बुलाएं।।
खुलेआम शोषण का धंधा चला है।
कैसे वतन से गरीबी मिटाएं।।
चलो आज मिलकर वही गीत गाएं।
आजाद होने का नारा लगाएं।।
-अन्वेषी