बदलापुर रेलवे स्टेशन से पहले प्लेटफॉर्म एक और दो पर एक के बाद एक लोकल ट्रेन के आ जाने से संकरे पादचारी पुल से बाहर निकलना और प्लेटफॉर्म पर आना कठिन हो जाता था इसलिए कई रेल यात्री सीधे पटरियां पार करते थे। पटरी पार करने के चक्कर में कई लोग तेज गति की ट्रेनों के नीचे कटकर अपनी जान गवां चुके हैं और कई यात्री घायल हो चुके हैं। बरसों से रेलयात्री संगठन की मांग पर बदलापुर (पश्चिम) के लोग स्टेशन के बाहर आसानी से आ और जा सकें इसके लिए प्लेटफॉर्म की शुरुआत की गई। बरसों से शुरू यह निर्माण कार्य पूरा होने का नाम ही नहीं ले रहा है। निर्माण कार्य इतनी मंद गति से चल रहा है, जिसे देखकर यह सवाल उठता है कि आखिरकार और कितने साल में काम पूरा होगा? बरसों से चल रहे बदलापुर प्लेटफॉर्म के कार्य की गति धीमी करने का मकसद कहीं बजट को बढ़ाना तो नहीं है? आज प्लेटफॉर्म पर छत न होने के कारण रेल प्रवासियों को जहां एक तरफ पानी में भीगना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर फर्श पर लगी चिकनी टाइल्स पर फिसलकर लोग अपने हाथ और पैर तुड़वा सकते हैं। प्लेटफॉर्म पर छत न होने से गर्मी के दिनों में रेल यात्री धूप में खड़े रहने को मजबूर थे और गर्मी और धूप से उनका हाल बेहाल था और आज भी लोग धूप में खड़े होने को मजबूर हैं। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वो स्टेशन की छत को जल्द से जल्द बनवाए, ताकि रेल यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर भीगना न पड़े और उनकी यात्रा सुगम हो सके।
– अनिल वर्मा, बदलापुर