महानगर में बदलाव के साथ-साथ शहर का विस्तार हो रहा है। गांव अब छोटे शहर का रूप लेते जा रहे हैं। लेकिन इस परिवर्तन के दौरान हमें प्राचीन मंदिरों, वृक्षों और किलों जैसी अपनी धरोहरों को नष्ट होने से बचाना होगा। उनकी रक्षा करनी होगी। कहीं कोई इन्हें क्षति न पहुंचाए, इस पर ध्यान देना होगा। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इन धरोहरों की रक्षा करे। लेकिन कई जगहों पर अक्सर पाया गया है कि वहां सुरक्षाकर्मी नादारद रहते हैं। ऐसी ही एक धरोहर है सायन का किला, जहां कोई सुरक्षाकर्मी नजर नहीं आता। मुंबई में कुछ ही किले बचे हुए हैं, जिन्हें हम अपनी नई पीढ़ी को दिखा सकते हैं। सायन का किला भी उन्हीं में से एक है। इसे देखने के लिए रोजाना भारी संख्या में लोग आते हैं, लेकिन उन पर नजर रखने के लिए और यह देखने के लिए कि कोई किले को क्षति न पहुंचाए वहां एक भी सुरक्षा रक्षक दिखाई नहीं देता है।
-रूपेश देसाई, धारावी