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संपादक के नाम पत्र : ब्यूटीफिकेशन के नाम पर पेड़ों का हो रहा बंटाधार

जगह-जगह पेड़ों पर तार लपेटे देखे जाते हैं। चाहे केबल के तार हों या फिर इलेक्ट्रिक वायर हो या फिर सजावट के तार, अक्सर पेड़ से बंधे या लपेटे देखे जाते हैं। ये तार पेड़ पर बुरी तरीके से लपेटे होते हैं। कुछ तारों में करंट का संचार होता है तो कुछ में नहीं होता, जिन तारों में करंट का संचार होता है वे तो पेड़ों के लिए घातक होते ही हैं। साथ ही जिनमें संचार नहीं होता और ऐसे ही लपेटे गए हों तो वे भी पेड़ को नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ ऐसा ही देखने को मिला चेंबूर नाका स्थित बैंक ऑफ इंडिया के बाहर मौजूद एक पेड़ पर। आप तस्वीर में देख सकते हैं कि इस पेड़ पर किस तरह बेरहमी से तार लपेटे गए हैं साथ ही इन तारों को काटकर वैसे ही छोड़ दिया गया है। इससे बैंक में आने-जानेवाले या सड़क के किनारे चलनेवाले राहगीरों को भी नुकसान पहुंच सकता है। ये तार किसी के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं। यह लंबे तार सड़क तक पड़े रहते हैं, जिससे उलझकर कोई राहगीर गिर सकता है। इस पर शिकायत करनेवालों की संख्या बहुत कम होती है। यह मुद्दा कोई नहीं समझता और ज्यादातर इसकी कोई शिकायत भी नहीं करता। इसलिए पेड़ पर तार लपेटने वालों का मन और बढ़ता है। अक्सर देखा गया है कि कार्रवाई शून्य होने की वजह से हर पेड़ पर केबल तार लपेट दिए जाते हैं। प्रशासन से गुजारिश है कि इस संबंध में गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की जाए। तार लपेटने वालों पर संबंधित कानूनी धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई करनी चाहिए। जब कार्रवाई होगी तो पेड़ पर तार लपेटना कम होगा, अन्यथा इसी तरह पेड़ पर तार लपेटकर पेड़ों की उम्र कम की जाती रहेगी। इसका खामियाजा पर्यावरण को उठाना पड़ेगा।
-सौरव शाह, घाटकोपर

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