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‘लीवर’ से बचेगी शहजादी की जान! …आखिरी पैगाम से फैज का पिघला दिल

दुबई में शहजादी को सुनाई गई फांसी की सजा में नया मोड़ आ गया है। हो सकता है ‘लीवर’ के जरिए उसकी फांसी की सजा टल सकती है। माफ करने को अरबी में लीवर कहा जाता है। वहां की अदालत ने शिकायतकर्ता फैज से पूछा है कि क्या वह ‘किसास’ चाहते हैं? किसास का अर्थ होता है बदला। खबर के मुताबिक, शहजादी का आखिरी पैगाम फैज के दिल को छू गया है इसलिए उसने अदालत से पूछा है कि क्या फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हो सकती है? दूसरी ओर शहजादी की फांसी को लेकर रिव्यू पेटिशन दाखिल की गई है और भारतीय दूतावास इस केस पर लगातार नजर रखे हुए है।
१४ फरवरी को शहजादी का उत्तर प्रदेश में रहनेवाले अपने माता-पिता को आखिरी कॉल जाता है, जिसमें वह कहती है, ‘अब्बू, ये मेरा आखिरी कॉल है। अब हम दोबारा नहीं मिल सकेंगे। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है। सभी को माफ करती हूं।’ यह कॉल शहजादी के पिता ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली थी, जो बाद में मीडिया में शेयर कर दिया गया था। खबर के मुताबिक, आखिरी कॉल का मैसेज सुनकर फैज का दिल पिघल गया और उसने अबूधाबी कोर्ट से कहा है कि क्या फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो सकती है? वहां की अदालत की हायर अथॉरिटी ने फैज को बताया था कि शहजादी की फांसी के लिए १५ फरवरी की सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त मुकर्रर किया गया है। साथ ही यह भी कहा गया था कि अगर वो चाहे तो शहजादी की फांसी को देखने के लिए जेल में हाजिर रह सकते हैं, लेकिन फैज हाजिर नहीं हुए। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि यूएई सरकार ने वहां मौजूद भारतीय दूतावास को जानकारी दी है कि शहजादी को फिलहाल फांसी नहीं दी गई है। बता दें कि भारतीय शहजादी को मानव तस्करी के जरिए दुबई में एक दंपति के हाथों बेच दिया गया था, जहां दंपति के एक चार साल के बेटे की बीमारी से मौत हो गई थी, इसका इल्जाम शहजादी पर लगा दिया गया था। वहां की कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी।

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