राज्य उत्पादन शुल्क विभाग मौन, डिवीजन कार्यालय रहता है बंद
अशोक तिवारी / मुंबई
लोकसभा चुनावों को लेकर देश में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है, लेकिन शराब विक्रेताओं और राज्य उत्पादन शुल्क अधिकारियों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं पड़ रहा है। बता दें कि हर डिवीजन में राज्य उत्पादन शुल्क द्वारा शराब बिक्री की एक लिमिट निर्धारित की गई है। अगर इस लिमिट से ज्यादा शराब की बिक्री होती है तो राज्य उत्पादन शुल्क विभाग के अधिकारी इसकी जांच करते हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब खरीद कौन रहा है। चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद मुंबई शहर के चेंबूर, मानखुर्द, गोवंडी, शिवाजी नगर डिवीजन में शराब की बिक्री में अचानक से तेजी आई है। जिस पर राज्य उत्पादन शुल्क विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।
मुंबई के जे. ओ. पी. डिवीजन में खुलेआम असीमित शराब बिक्री की जा रही है। शराब कौन और कितना, किस लिए खरीद रहा है, इसकी कोई जानकारी नहीं ली जा रही है।
मुंबई के स्लम और पॉश इलाके में शुमार जे. ओ. और पी डिवीजन में बार एंड रेस्टोरेंट, वाइन शॉप, बीयर शॉप के मालिकों द्वारा राज्य उत्पादन शुल्क कानूनों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। इस मामले को लेकर आरटीआई कार्यकर्ता मनोहर जरियाल ने राज्य के चुनाव आयुक्त को पत्र लिख कर जांच करने और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। जरियाल ने बताया कि चेंबूर में स्थित जे डिवीजन कार्यालय से सौ मीटर की दूरी पर कई बार और रेस्तरां, शराब और बियर की दुकानें हैं। यहां बड़ी मात्रा में शराब की विक्री हो रही है। इस संदर्भ में प्रतिक्रिया लेने के लिए संवाददाता द्वारा जे. डिवीजन के इंस्पेक्टर अनिल बिराजदार से जब संपर्क करने की कोशिश की गई तो पता चला कि वे पूना से आते हैं। गुरुवार के बाद सीधे सोमवार को कार्यालय में आते हैं, जिस वजह से अक्सर कार्यालय बंद रहता है। ऐसा ही हाल ओ. डिवीजन के अंतर्गत आने वाले बांद्रा और खार का भी है, जिसके इंस्पेक्टर पांडुरंग तापडे से जब संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल नॉट रीचेबल बताया गया।