कुछ साल पहले बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के सरोगेसी के जरिए मां बनने की खबरें चर्चा का विषय बनी थीं। बिना गर्भधारण किए प्रियंका चोपड़ा के मां बनने की खबरों ने सभी को चौंका दिया था। वैसे सरोगेसी यानी ‘किराए की कोख’ के जरिए मां बनने का यह कोई पहला मामला नहीं था। प्रियंका से पहले भी कई स्टार्स सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन चुके हैं। सरोगेसी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। अब इस मामले में केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित करते हुए कहा है कि लिव-इन पार्टनर, समलैंगिक जोड़ों को सरोगेसी कानून के तहत सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। केंद्र ने सर्वोच्च न्यायालय को अवगत कराया है कि राष्ट्रीय बोर्ड के विशेषज्ञ सदस्यों ने १९ जनवरी को अपनी बैठक में राय दी थी कि अधिनियम (एस) के तहत परिभाषित `युगल’ की परिभाषा सही है और उक्त अधिनियम के तहत समलैंगिक जोड़ों को सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। केंद्र ने अपने अतिरिक्त हल बब बफनामे में कहा कि यह भी ध्यान देने योग्य है कि एकल माता-पिता को तीसरे पक्ष से अंडाणु जनित कोशिका और शुक्राणु के लिए दाता की आवश्यकता होती है, जो बाद में कानूनी जटिलताओं और हिरासत के मुद्दों को जन्म दे सकती है। इसके अलावा, लिव-इन पार्टनर कानून से बंधे नहीं हैं और सरोगेसी के जरिए पैदा हुए बच्चे की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ जाएगी।
केंद्र ने अपने अतिरिक्त हलफनामे में कहा कि संसदीय समिति ने अपनी १२९वीं रिपोर्ट में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) अधिनियम, २०२१ के दायरे में लिव-इन जोड़ों और समलैंगिक जोड़ों को शामिल करने के मुद्दे पर विचार किया कि भले ही लिव-इन कपल्स और सेम-सेक्स कपल्स के बीच संबंधों को कोर्ट ने डिक्रिमिनलाइज कर दिया है हालांकि, उन्हें वैध नहीं किया गया है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों और लिव-इन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है हालांकि, समलैंगिक/लिव-इन जोड़ों के संबंध में न तो कोई विशेष प्रावधान पेश किए गए हैं और न ही उन्हें कोई अतिरिक्त अधिकार दिया गया है। केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि संसदीय समिति ने अपनी १०२वीं रिपोर्ट में सरोगेसी अधिनियम के दायरे में लिव-इन जोड़ों और समलैंगिक जोड़ों को शामिल करने के मुद्दे पर भी विचार किया और उनका मानना था कि इन धाराओं को शामिल करना समाज ऐसी सुविधाओं के दुरुपयोग की गुंजाइश खोलेगा और सरोगेसी के माध्यम से पैदा हुए बच्चे का बेहतर भविष्य सुनिश्चित करना मुश्किल होगा। केंद्र की प्रतिक्रिया सरोगेसी अधिनियम, २०२१ और सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी अधिनियम, २०२१ की शक्तियों को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर आई है।
प्रियंका चोपड़ा ने लिया था सरोगेसी का सहारा
बता दें कि कुछ माह पहले बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा सरोगेसी से मां बनी थीं। प्रियंका की मां बनने की खबरों ने सभी को चौंका दिया था।
क्या होती है सरोगेसी?
सरोगेसी का विकल्प उन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है जो प्रजनन संबंधी मुद्दों, गर्भपात या जोखिम भरे गर्भावस्था के कारण गर्भ धारण नहीं कर सकतीं। सरोगेसी को आम भाषा में किराए की कोख भी कहा जाता है, यानी बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है। यानी सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है। अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है।